देवघर/ पटना: एक थे माउंटेन मैन दशरथ मांझी, जिन्होंने अपनी पत्नी की तकलीफों को देखकर पहाड़ का सीना चीर डाला था. माउंटेन मेन का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है. देवघर में भी अपने बेटे की मोहब्बत में कैद एक पिता भी आजकल कुछ ऐसा ही कर रहे हैं.
देवघर के सिंचाई विभाग में काम करने वाले जितेंद्र महतो जो बिहार के आरा जिले के रहने वाले हैं. वो शहर के नंदन पहाड़ इलाके में एक दिन अपने बेटे के साथ घूमने निकले तो, रास्ते में बिखरे शीशे का एक टुकड़ा उनके बेटे के पैर में चुभ गया, बेटे के पैर से खून बह रहा था और आंखों में आंसू था, लेकिन इस दर्द के बीच बेटे के एक शब्द ने पिता के जीने का मकसद ही बदल दिया. दर्द से कराह रहे उनके बेटे ने कहा कि पापा लोग शीशा ऐसे क्यों फेंकते हैं. उसके बाद से ही जितेंद्र महतो ने तय कर लिया कि इस रास्ते से गुजरने वाले किसी भी इंसान को अब दर्द महसूस नहीं होने देंगे.
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अपने बेटे की तकलीफ को महसूस करने वाला यह बाप अब उन रास्तों पर बिखरे दर्द देने वाले उन तमाम चीजों को समेट कर न सिर्फ सफाई का पैगाम दे रहे हैं, बल्कि बैठने के लिए आरामदायक कुर्सीनुमा डस्टबिन बनाकर उसमें सफाई से जुड़े संदेश लिखकर लोगों को जागरूक करने में जुटे हैं. जितेंद्र महतो ने अपने कारनामे से इलाके की तस्वीर ही बदल दी है.
देश में स्वच्छता अभियान जोर-शोर से चलाया जा रहा है. सफाई पर करोड़ों रूपये की राशि खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन यह शख्स अपनी तनख्वाह के पैसे से सीमेंट और रेत का इंतजाम करता है और स्लोगन लिखने के लिए रंग और ब्रश का भी बंदोबस्त करता है. अपने मकसद में कामयाब हो रहे जितेंद्र अब सुकून की सांस ले रहे हैं. जितेंद्र महतो अपने बेटे के उस शब्द को महसूस कर कामयाबी की नई मिसाल पेश कर रहे हैं.