पटना:बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) की सरकार है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार चल रही है. इस सरकार में छोटे दलों की भूमिका भी अहम है. खासतौर पर दलित नेता जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) सरकार के कामकाज से खुश नहीं हैं. वह लगातार एनडीए (NDA) के शीर्ष नेताओं पर हमला बोल रहे हैं. उन्होंने कोऑर्डिनेशन कमेटी (Coordination Committee) की मांग कर गठबंधन की मुश्किलें बढ़ा दी है.
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पूर्व मुख्यमंत्री और हम प्रमुख जीतन राम मांझी कभी जदयू में थे. नीतीश कुमार ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में जगह दी थी. नीतीश ने मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया. बाद में मांझी ने बगावत कर दी. काफी जद्दोजहद के बाद नीतीश कुमार को लालू यादव के समर्थन से सीएम की कुर्सी मिली. नीतीश कुमार लालू यादव के खेमे में गए तो मांझी एनडीए में रहे. जैसे ही नीतीश कुमार ने एनडीए से नजदीकियां बढ़ाई मांझी ने पाला बदला और महागठबंधन में चले गए.
कोऑर्डिनेशन कमेटी की मांग पर महागठबंधन से अलग हुए थे मांझी
राजद ने बड़े तामझाम के साथ जीतन राम मांझी को महागठबंधन में शामिल किया था. कुछ माह बाद ही जीतन राम मांझी कोऑर्डिनेशन कमेटी की मांग करने लगे. वह राजद द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने से नाराज हुए और महागठबंधन छोड़ दिया. मांझी फिर एनडीए के नाव पर सवार हो गए. इस बार मांझी की एंट्री नीतीश कुमार ने कराई. हम पार्टी का गठबंधन जदयू के साथ है.
बेबाक राय रखते हैं मांझी
जीतन राम मांझी हर मुद्दे पर बेबाक राय रखते हैं. पहले तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला बाद में नीतीश कुमार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए. मांझी ने कोऑर्डिनेशन कमेटी की मांग कर एनडीए के नेताओं को मुश्किल में डाल दिया है. दरअसल भाजपा और हम पार्टी के नेता कई मुद्दों पर आमने-सामने हो गए हैं. मामला दलित अल्पसंख्यक विवाद का हो या बांका बम विस्फोट, तमाम मुद्दों पर भाजपा और हम पार्टी के रास्ते अलग-अलग हैं.