पटना: 13 अप्रैल को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की थी और ठीक दो महीने बाद 13 जून को उनके बेटे संतोष सुमन ने नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे के बाद हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि नीतीश कुमार की ओर से पार्टी के विलय का दबाव था, बयान चाहे जो भी हो लेकिन बिहार की राजनीति में इस इस्तीफे के पीछे का कारण जीतन राम मांझी की अमित शाह से डील को माना जा रहा है.
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बीजेपी से मांझी की डील?: महागठबंधन से अलग होने के बाद हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के बीजेपी में जाने की खबरें आ रही हैं. सूत्रों के अनुसार जीतन राम मांझी बीजेपी से राज्यपाल का पद और बिहार में एमएलसी की सीट चाहते हैं. इसके साथ ही लोकसभा की एक या दो सीटें भी स्वीकार की जाएगी.
पिता राज्यपाल तो बेटे को लोकसभा की सीट का ऑफर!: बता दें कि मांझी ने अपनी विरासत अपने बेटे संतोष सुमन मांझी को पहले ही सौंप दी है. मांझी 78 साल के हो गए हैं, इसलिए वह अपने लिए सम्मानजनक विदाई और बेटे को राजनीति में आगे बढ़ता देखना चाहते हैं. यहीं कारण है कि पहले जहां मांझी लोकसभा की 5 सीटों की मांग कर रहे थे,अब एक या दो सीट पर भी सहमत होते दिख रहे हैं.
सूत्र बताते हैं कि मांझी ने डील में लोकसभा चुनाव 2024 में बेटे संतोष सुमन को गया से लोकसभा का टिकट दिए जाने की मांग रखी है. साथ ही चुनाव जीतने के बाद मांझी को किसी राज्य का राज्यपाल बनाने की बात भी सामने आ रही है.
मांझी की बीजेपी से डील पर बयानबाजी जारी:जीतन राम मांझी की बीजेपी से डील पर बयान बाजी जारी है. बीजेपी इसको लेकर महागठबंधन पर हमलावर है और विपक्षी एकता पर तंज कस रही है. वहीं महागठबंधन का कहना है कि हमें पहले सी पता था कि मांझी इधर-ऊधर होते रहते हैं इसलिए विपक्षी दलों की बैठक में भी आमंत्रित नहीं किया गया था.
"नीतीश कुमार दलित सियासत के साथ लगातार छल कर रहे हैं. दलित महादलित की राजनीति करने वाले नीतीश कुमार हैं. दलितों की पार्टी को कई बार तोड़ा है, इसके कई उदाहरण सामने हैं. आने वाले दिनों में दलित और महादलित नीतीश कुमार को सबक सिखाने का काम करेंगे."- निखिल आनंद,भाजपा प्रवक्ता