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पूर्व CM मांझी ने की JNU में छात्रों पर लाठीचार्ज की निंदा, केंद्र सरकार को बताया तानाशाह

जीतन राम मांझी ने कहा कि सरकार जिस तरह से जेएनयू में फीस बढ़ोतरी की है वह कहीं से उचित नहीं है. इतिहास में जिस तरह से हिटलर ने हिटलर शाही कर कई देशों पर राज किया था उसी तहर सरकार उन छात्रों पर लाठी डंडे के बदौलत विश्वविद्यालय का फीस बढ़ाकर अपनी मनमानी कर रही है जो गलत है.

जीतन राम मांझी

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Published : Nov 23, 2019, 9:59 AM IST

पटना:जेएनयू में फीस बढ़ोतरी को लेकर कई दिनों से छात्र आंदोलन कर रहे हैं. आंदोलन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसके बाद कई संगठन उन छात्रों के आंदोलन के समर्थन में आ गए हैं. अब धीरे-धीरे राजनीतिक पार्टियां भी उनके समर्थन में खुलकर बोलने लगी हैं. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी जेएनयू के छात्रों के आंदोलन का समर्थन किया है.

जीतन राम मांझी ने कहा कि सरकार ने जिस तरह से जेएनयू में फीस बढ़ोतरी की है, वो कहीं से उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है. इतिहास में जिस तरह से हिटलर ने हिटलर शाही कर कई देशों पर राज किया था, उसी तहर सरकार उन छात्रों पर लाठी डंडे के बदौलत विश्वविद्यालय का फीस बढ़ाकर अपनी मनमानी कर रही है.

गरीब छात्रों के साथ अन्याय कर रही है सरकार
मांझी ने कहा कि सरकार के इस फैसले से बच्चों की पढ़ाई बाधित होगी. चूंकि फीस इतनी ज्यादा बढ़ा दी गई है कि गरीब तबके के छात्र उसे चूकाने में असमर्थ हैं. ऐसे में सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से पुलिस ने उन छात्रों पर लाठीचार्ज किया, उसका हम विरोध करते हैं.

बयान देते पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी

मांझी ने किया पलटवार
मांझी ने सुशील मोदी के ट्वीट पर भी पलटवार किया. उन्होंने लिखा कि मोदी का ट्वीट करने से पहले आपके आका (बडे नेता) समाज में धर्म-मज़हब के नाम पर नफरत का जहर डालते हैं और आप सत्ता में बने रहने और नीतीश कुमार को खुश करने के लिए इस तरह का ट्वीट करते हैं. अगर सही मायने में आप इन तत्वों का विरोध कर रहे हैं तो पहले अमित शाह और गिरिराज सिंह जैसों का इलाज करवाईए.

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सुशील मोदी ने किया था ट्वीट
बता दें कि बीएचयू को लेकर सुशील मोदी ने ट्वीट किया था कि, 'काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.फिरोज खान की नियुक्ति का धर्म के आधार पर विरोध करना दुर्भाग्यपूर्ण हैं. यदि इस्लाम के मानने वाले लोग वेद-पुराण का अध्ययन-अध्यापन कर रहे हैं, तो यह हमारे लिए गर्व का विषय होना चाहिए. अविभाजित बिहार में ईसाई मत के फादर कामिल बुल्के रांची विवि में हिन्दी के अध्यापक थे, रामचरित मानस पर प्रवचन करते थे, लेकिन यहां पर उनका विरोध नहीं हुआ. बीएचयू प्रकरण पर भी सबको सद्भाव का परिचय देना चाहिए ताकि किसी को घटिया राजनीति करने का मौका न मिले.'

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