जहानाबाद/रोहतास: जम्मू-कश्मीर के बारामूला में सीआरपीएफ कैंप में हुए आतंकी हमले में बिहार के दो जवान शहीद हो गए. शहीदों को गांव में मातम पसरा हुआ है. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. दोनों शहीद जवान बिहार के जहानाबाद और रोहतास के रहने वाले थे.
जहानाबाद जिले के रतनी फरीदपुर के आईरा गांव के निवासी लवकुश शर्मा बारामूला आतंकी अटैक में शहीद हुए हैं. उनके निधन की खबर जैसे ही उनके परिजनों को मिली, गांवभर में मातमी चित्कार गूंज उठी.
जहानाबाद के लवकुश शर्मा शहीद पत्नी बदहवास
लवकुश शर्मा के माता-पिता और उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है. सीआरपीएफ शहीद जवान लवकुश के दो बच्चे हैं, जिनमें एक 7 साल का पुत्र और 3 साल की पुत्री है. शहीद जवान के परिजनों ने बताया कि उनका बेटा पिछले साल दिसंबर में एक महीने की छुट्टी पर घर आया था. कल रात को फोन पर बात हुई थी. सुबह फोन पर खबर मिली की वो शहीद हो गया. पूरा परिवार अपने बेटे को याद करते ही बिलख उठता है.
शहीद लवकुश शर्मा के बच्चे रोहतास में मातमी चित्कार
रोहतास बिक्रमगंज प्रखंड के घोसिया कला गांव का रहने वाले सीआरपीएफ जवान खुर्शीद खान बारामूला आतंकी हमले में शहीद हो गए. उनकी शहादत की खबर मिलते ही गांवभर में शोक की लहर दौड़ गई. खुर्शीद अपने माता पिता की सबसे बड़े पुत्र थे, जो 2002 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. पिता के इंतकाल के बाद उनके ऊपर घर की जिम्मेदारी थी. मां रुकसाना खातून, भाई मुर्शीद खान, मुजीब खान, सद्दाम खान और साहिब खान, पत्नी नगमा खातून एवं पुत्री जहीदा खुर्शीद, जुबेदा खुर्शीद और अफसाना खुर्शीद उन्हें याद कर चित्कार भरते हुए अचेत अवस्था हो जा रहे हैं.
शहीद खुर्शीद के घर पसरा मातम भाई मुर्शीद खान ने बताया कि इसी वर्ष 14 मार्च को शहीद खुर्शीद खान घर आए थे. लॉकडाउन होने के कारण 3 माह बाद 19 जून को ड्यूटी पर जाने के लिए रवाना हुए थे. वहीं शहीद की पत्नी नगमा ने कहती हैं कि यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मेरे पति ने देश की रक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी. साथ ही पत्नी नगमा ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि देश के दुश्मन आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दें.