पटना:राज्यसभा चुनाव में राजनीतिक हलचल बिहार में बनी हुई है और अब अगले महीने हो रहे विधान परिषद के चुनाव में भी एनडीए और महागठबंधन दोनों खेमे में विवाद बढ़ने वाला है. खाली हो रहे विधान परिषद के 7 सीटों (Election to seven seats of Bihar Legislative Council) में से 5 सीट फिलहाल जदयू के हैं और 2 सीट बीजेपी खेमे के हैं लेकिन विधानसभा में विधायकों की संख्या बल के हिसाब से केवल 4 सीट ही अब एनडीए को मिलेगी और 3 सीट महागठबंधन खेमे में जाना तय माना जा रहा है.
पढ़ें-बिहार में 4 IAS अधिकारियों का तबादला.. 14 अधिकारी बने उप विकास आयुक्त
बिहार विधान परिषद की सात सीटों पर चुनाव: संख्या बल के हिसाब से बीजेपी आरजेडी को दो-दो सीट और जदयू को एक सीट आसानी से मिलेगी. शेष बचे 2 सीट पर होने वाले दावेदारी से विवाद बढ़ना तय है. ऐसे विधान परिषद के 7 सीटों के चुनाव में जदयू को नुकसान होगा तो ही आरजेडी को लाभ मिलने वाला है. बिहार में राज्यसभा के 5 सीटों पर चुनाव के बाद विधान परिषद के 7 सीटों के होने वाले चुनाव पर भी सियासत तेज होना तय है. विधान परिषद के एक सीट के लिए 31 सदस्यों का होना जरूरी है.
समझे MLC चुनाव का गुना गणित: फिलहाल बीजेपी के 77 विधायक हैं. 2 सीट मिलने के बाद भी 15 विधायक का वोट शेष बचेगा तो वहीं जदयू के 45 और एक निर्दलीय की बात करें तो कुल 46 विधायक हैं. ऐसे में जदयू को भी एक विधान परिषद की सीट आसानी से मिल जाएगी और उसके बाद भी 15 विधायकों का वोट बचा रह जाएगा. एनडीए में जीतन राम मांझी के भी 4 विधायक हैं और मांझी भी एक सीट पर दावेदारी कर रहे हैं. लेकिन जदयू के 5 सीट अभी वर्तमान में हैं इसलिए जदयू सहयोगी बीजेपी से कम से कम 1 सीट और देने का आग्रह करेगी.
1 सीट पर जीत के लिए 31 वोटों की जरूरत:लेकिन बीजेपी तैयार नहीं हुई तो विवाद बढ़ना तय है. दूसरी तरफ आरजेडी के 76 विधायक हैं. ऐसे में 2 सीट आसानी से आरजेडी को मिल जाएगी और उसके बाद भी 14 विधायकों का वोट शेष बचेगा. महागठबंधन खेमे में वामपंथी दलों के 16 विधायक हैं और कांग्रेस के 19 विधायक अब आरजेडी को तय करना है कि एक सीट कांग्रेस को दें या फिर वामपंथी दलों को. हाल के दिनों में कांग्रेस से आरजेडी की दूरियां बढ़ी है. ऐसे में यह अंदेशा है कि वामदलों को ही आरजेडी 1 सीट ऑफर कर सकता है. ऐसे में कांग्रेस की तरफ से दावेदारी होने पर विवाद बढ़ेगा.
इन सदस्यों को हो रहा कार्यकाल समाप्त:जिन सात सदस्यों का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है उसमें जदयू के गुलाम रसूल बलियावी, सीपी सिन्हा, कमर आलम, रणविजय सिंह, रोजिना नाजिम, बीजेपी के अर्जुन सहनी और वीआईपी के मुकेश सहनी भी शामिल हैं. मुकेश सहनी को बीजेपी ने अपने कोटे से ही विधान परिषद भेजा था लेकिन अब बीजेपी के साथ मुकेश सहनी का संबंध खराब हो चुका है और नीतीश मंत्रिमंडल से भी मुकेश सहनी बाहर हो चुके हैं.