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क्या है 'नीतीश मॉडल', जिसके सहारे राष्ट्रीय पार्टी बनने की रणनीति को अंजाम देने में जुटा है JDU?

जेडीयू (JDU) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने के लिए नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुवाई में पिछले दो दशक से कोशिश हो रही है, लेकिन कामयाबी नहीं मिल पा रही है. अब पार्टी बिहार के 'नीतीश मॉडल' के सहारे अगले साल 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में जाएगी. आखिर क्या है 'नीतीश मॉडल', रिपोर्ट में पढ़ें...

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Published : Aug 31, 2021, 7:38 PM IST

Updated : Aug 31, 2021, 8:25 PM IST

पटना:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के नेतृत्व में जनता दल यूनाइटेड यानी जेडीयू (JDU) बिहार में लगातार सत्ता में है, लेकिन पार्टी को अभी तक राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा (National Party Status) नहीं मिला है. पार्टी नेताओं को इसकी बड़ी कसक है. अभी राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नीतीश कुमार ने अपनी पीड़ा भी बताई और साफ कहा कि अब राष्ट्रीय पार्टी बनाने के लिए सब लोग जुट जाएं.

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अब जेडीयू नीतीश मॉडल (Nitish model) के सहारे उत्तर प्रदेश, मणिपुर सहित अन्य राज्यों में हो रहे चुनाव में कूदने की तैयारी कर रहा है. चुनाव अगले साल होना है, इसलिए नीतीश कुमार ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को पूरी तैयारी करने का निर्देश दिया है. पार्टी के नेता बिहार के नीतीश मॉडल के सहारे चुनाव में जाएंगे.

देखें रिपोर्ट

वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि नीतीश मॉडल का मतलब सुशासन, आधी आबादी का सशक्तिकरण, लड़कियों को साइकिल देना, आधी आबादी को पंचायतों में 50% आरक्षण, सात निश्चय कार्यक्रम और पूर्ण शराबबंदी हैं. वे कहते हैं कि इन्हीं सब मुद्दों के सहारे जेडीयू दूसरे राज्यों के चुनाव में जाएगा.

वहीं, जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है कि नीतीश कुमार ने अपने काम की बदौलत पूरे देश में एक मॉडल स्थापित किया है. चाहे महिलाओं के लिए बड़े फैसले लेने की बात हो या फिर सात निश्चय पार्ट वन और पार्ट 2 की बात हो या पूर्ण शराबबंदी की बात हो या फिर न्याय के साथ विकास की बात हो. नीतीश कुमार ने अपना विकास मॉडल देश के सामने रखा है. वे कहते हैं कि नीतीश मॉडल को कुछ सेकेंड में बताना संभव नहीं है.

जेडीयू के मिशन पर आरजेडी नेता और पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम का कहना है कि जब बिहार में ही पार्टी की स्थिति खराब है तो बाहर जाकर क्या करेंगे. आखिर कौन सा मॉडल लेकर बाहर जाएंगे, स्वास्थ्य और शिक्षा का क्या हाल है किसी से छिपा नहीं है.

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वैसे जेडीयू के आला नेता भी कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार का का चेहरा पार्टी के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. नीतीश कुमार ने जल जीवन हरियाली अभियान की शुरुआत की, जोकि यह पूरे देश के लिए अनुकरणीय है. समाज सुधार के कार्यों में भी नीतीश का कोई सानी नहीं है. मुख्यमंत्री के रूप में विकास के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं. पार्टी को भरोसा है कि इन उपलब्धियों के सहारे राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के विस्तार में मदद मिलेगी.

आखिर राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए भारत के निर्वाचन आयोग ने क्या अहर्ता रखी है, आइये इसे भी जान लेते हैं. दरअसल भारत निर्वाचन आयोग ने तीन अहर्ता रखी हैं और तीनों में से यदि कोई पार्टी एक भी अहर्ता को पूरा करती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा आयोग देता है.

  • 3 राज्यों के लोकसभा चुनाव में 2 प्रतिशत सीटें जीतना.
  • 4 लोकसभा सीटों के अलावे किसी लोकसभा या विधानसभा चुनाव में 6 फीसदी वोट प्राप्त करना.
  • 4 या अधिक राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करना.

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फिलहाल जेडीयू इन तीनों अहर्ता में से किसी भी अहर्ता को पूरा नहीं कर रहा है. पार्टी को अभी केवल 2 राज्यों में ही राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ है. एक बिहार और दूसरा अरुणाचल प्रदेश में. हालांकि अरुणाचल में पिछले साल बड़ी टूटी हुई, उनके कई विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. ऐसे में पार्टी को कम से कम दो और राज्यों में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करना होगा. पार्टी उसी अभियान में लगी है और नीतीश मॉडल पार्टी नेताओं को लगता है कि मददगार बनेगा.

आपको बताएं कि देश में फिलहाल 7 पार्टियों को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ है. हालांकि बिहार की किसी भी प्रमुख राज्य स्तरीय और क्षेत्रीय पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा अभी प्राप्त नहीं हुआ है. इसके अलावा राज्य स्तरीय पार्टियों की संख्या 35 है तो वहीं क्षेत्रीय पार्टियों की संख्या 329. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद भारत निर्वाचन आयोग से कई तरह की सुविधा मिलती है. एक तो चुनाव चिह्नि मिल जाता है, जो पूरे देश में मान्य होता है. दूसरा निर्वाचन सूची भी मिलती है और रेडियो टीवी पर प्रसारण करने की भी सुविधा मिलती है.

Last Updated : Aug 31, 2021, 8:25 PM IST

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