पटना: सातवें चरण के चुनाव से ठीक पहले जेडीयू ने बिहार को स्पेशल स्टेटस वाले मुद्दे को राजनीतिक रंग देना शुरू कर दिया है. स्पेशल स्टेटस के बहाने देश में तीसरे मोर्चे की गोलबंदी के संकेत मिलने लगे हैं. जदयू ने बिहार और ओडिशा दोनों को स्पेशल स्टेटस देने की मांग दोहराई है. उधर विपक्ष ने जेडीयू के स्टैंड हो पाला बदलने वाला स्टैंड करार दिया है.
बिहार को स्पेशल स्टेटस मिले. इस बात के लिए प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है. लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार ने वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर स्पेशल स्टेटस के कॉन्सेप्ट को ही खारिज कर दिया. छठे चरण के चुनाव के ठीक बाद जेडीयू ने स्पेशल स्टेटस के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि ओडिशा के साथ-साथ बिहार को भी पिछड़ेपन के आधार पर विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए.
बिहार को मिले स्पेशल स्टेटस कैटगरी 'CM नीतीश का हथकंडा'
जेडीयू ने यह भी तर्क दिया है कि झारखंड बंटवारे के बाद बिहार का GDP लगातार उच्चतम स्तर पर है. लेकिन केंद्र का अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने के चलते बिहार विकास के दौड़ में पीछे है. लिहाजा, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. जेडीयू के पत्र के बाद बिहार में सियासी घमासान मच गया है. महागठबंधन की सहयोगी पार्टी हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि नीतीश कुमार जी को जब पाला बदलना होता है, तो ऐसे ही स्टैंड लेते हैं.
सरकार बदलते ही बदल जाते हैं नीतीश
हम प्रवक्ता ने कहा है कि नीतीश कुमार जी को जब यह लगने लगता है कि सरकार बदलने वाली है, तब ऐसी स्थिति में वह स्पेशल स्टेटस का बहाना बनाकर भागने की कोशिश में लग जाते हैं. वहीं, जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि विशेष राज्य के दर्जे की मांग हमने कभी भी नहीं छोड़ी है और यह प्रस्ताव सर्व सम्मत प्रस्ताव है. इसके लिए हम लड़ाई लड़ते रहेंगे. जदयू नेता ने कहा है कि पिछड़ेपन के आधार पर बिहार को स्पेशल स्टेटस मिलना चाहिए.