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भाषायी बयानबाजी पर सियासत: बोली JDU- 'तेजस्वी को कुर्सी प्यारी, बिहार का सम्मान नहीं'

भोजपुरी और मगही भाषा को लेकर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन (Jharkhand CM Hemant Soren) के बयान के बाद से बिहार में सियासत तेज है. जदयू प्रवक्ता ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें सिर्फ कुर्सी कीचिंता है, बिहार सम्मान की नहीं.

पटना
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Published : Sep 20, 2021, 8:44 PM IST

पटनाः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से भोजपुरी और मगही भाषा (Bhojpuri and Magahi Language) को लेकर दिए गए बयान पर सियासत थम नहीं रहा है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के झारखंड दौरे को लेकर जदयू प्रवक्ता निखिल मंडल (JDU spokesperson Nikhil Mandal) ने तंज कसा है. उन्होंने कहा है कि तेजस्वी यादव को बिहार का सम्मान पसंद हीं है. उन्हें बस अपनी कुर्सी की चिंता है.

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'पहले भी जब बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बिहारियों को लेकर टिप्पणी की थी, तो उस समय भी तेजस्वी यादव ने बिहारियों के सम्मान के लिए कुछ नहीं कहा था. ना ही बाद में भी विरोध जताया. जबकि उन्होंने मंच भी साझा किया था. बिहारी होने के कारण बिहारियों के मान सम्मान को लेकर झारखंड में भी उन्होंने कुछ नहीं कहा. अपनी कुर्सी की चिंता को लेकर ही वहां गए और आगे झारखंड में कैसे उनकी भूमिका बढ़े, यहीं तक सीमित रहे.'-निखिल मंडल, प्रवक्ता, जदयू

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आपको बता दें कि एक इंटरव्यूह के दौरान हेमंत सोरेन ने कहा था कि भोजपुरी और मगही बोलने वाले लोग डोमिनेटिंग नेचर यानी वर्चस्‍व चाहने वाला होता है. उन्होंने कहा कि अविभाजित बिहार में झारखंड की महिलाओं के साथ गलत काम करने वाले ये भाषाएं बोलते थे. झारखंड के आंदोलन के वक्‍त भोजपुरी में गालियां दी जाती थीं. उन्‍होंने कहा कि इन दोनों भाषाओं का झारखंड के आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है और ये बिहार की भाषाएं हैं.

इस बयान पर संवाददाताओं ने तेजस्वी यादव से सवाल भी किये. लेकिन वे कुछ कहने से बचे. उन्होंने बस इतना कहा, 'सीएम हेमंत के बयान की जानकारी उन्हें नहीं है और ना ये ही मालूम है कि उन्होंने क्या कहा है. उन्होंने भोजपुरी और मगही भाषा को लेकर इतना जरूर कहा है कि कोई भी भाषा खराब नहीं होती है. हर भाषा की अपनी खूबसूरती है. उनका अलग अंदाज होता है, हर भाषा के अलग भाव होते हैं. इससे किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.'

भाषा के मुद्दे पर सीएम नीतीश कुमार ने टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा, 'बिहार के लोग भी झारखंड के लोगों से बहुत स्नेह करते हैं और झारखंड के लोग भी बिहार के लोगों से उतना ही प्रेम करते हैं. आखिर दोनों राज्य तो पहले एक ही थे. 2000 में अलग राज्य बना है. आज भी झारखंड और बिहार में किसी तरह का कोई अलगाव नहीं हुआ है. कोई भी लैग्वेंज बोलने वाला किसी एक ही जगह नहीं रहता है. यूपी में बिहार की भाषा, बिहार में बंगाल की भाषा और इसी तरह हर जगह अलग-अलग लैग्वेंज बोलने वाले लोग रहते हैं. ऐसे में भाषा पर कुछ भी टिप्पणी करते रहना ठीक बात नहीं है.'

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