पटना: विधानसभा चुनाव के पहले बिहार की राजनीति में काफी हलचल देखने को मिल रही है. रालोसपा ने बसपा के साथ गठबंधन कर लिया. जिसके बाद से राज्य में तीसरे मोर्चे को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि बिहार में किसी तीसरे मोर्चे की कोई संभावना नहीं है. नीतीश कुमार के किए गए काम को देखते हुए बिहार में मुख्यमंत्री का पद भी खाली नहीं है.
'हटा देना चाहिए महा शब्द'
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि बिहार में नंबर एक, दो और तीन पर केवल एनडीए ही है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के महागठबंधन से निकलने के बाद महा शब्द भी हटा देना चाहिए था. जदयू प्रवक्ता ने कहा कि अब नए-नए मोर्चे का गठन हो रहा है तो तीसरे मोर्चे की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है.
'सुर्खियों में बने रहने के लिए नीतीश की आलोचना'
राजीव रंजन ने जनाधार विहीन विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 2010 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 206 सीट जीती फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में 40 में 39 सीटें एनडीए ने हासिल की. सभी दलों की नीतीश कुमार की आलोचना करना विवशता हो सकती है. वे पार्टी के अस्तित्व को बचाने के लिए ऐसा करके निरंतर सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं.
बिहार का कायाकल्प
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि जमीनी सच्चाई यह है कि बिहार में विकास का जादू लोगों के सर चढ़कर बोल रहा है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से बिहार का कायाकल्प हुआ है वह अभूतपूर्व है. बिहार में सड़कों का जाल बिछा है. 95 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ है. 6000 पुलों का निर्माण हुआ है और अब राष्ट्रीय उच्च पथ के 9 परियोजनाओं के शिलान्यास के बाद यातायात की दिशा में देश के मानचित्र पर बिहार एक अमिट छाप छोड़ने वाला है.
'बदल गई बिहार के गांवों की तस्वीर'
राजीव रंजन ने कहा कि हर घर तक बिजली की उपलब्धता को सुनिश्चित किया गया, शराबबंदी के युगांतकारी व कालजयी फैसले ने बिहार की दिशा और दशा को बदल कर रख दिया. राजीव रंजन ने कहा कि इस फैसले से बिहार के गांवों की तस्वीर ही बदल गई व महिलाओं के जीवन में एक अभूतपूर्व परिवर्तन आया.
'फेल्ड स्टेट का धब्बा'
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि बिहार एक ऐसे ऊंचाई पर पहुंचा है, जिसकी कल्पना 2005 से पहले करना बेमानी मानी जाती थी. जिस बिहार पर फेल्ड स्टेट का धब्बा लगा था आज वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में नित्य नई ऊंचाइयों को छू रहा है.
'नहीं है कोई वैकेंसी'
राजीव रंजन ने कहा कि किसका क्या नजरिया है यह उसे देखना और तय करना है. बिहार की जनता यह जानती है कि राज्य का कायाकल्प मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही संभव है. इसीलिए आने वाले कई सालों तक बिहार में मुख्यमंत्री के लिए कोई वैकेंसी नहीं है.