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JDU pol khol campaign Third phase: पार्टी कार्यालय में काली पट्टी लगाकर पहुंचे नेता और कार्यकर्ता - जदयू पोल खोल अभियान का तीसरा चरण

भाजपा के खिलाफ जदयू पोल खोल अभियान चला रहा है. तीन चरण में इस कार्यक्रम की रूप रेखा तैयार की गयी है. तीसरा चरण आज से शुरू हुआ. जातीय गणना में अड़ंगा लगाने का आरोप भाजपा पर लगाते हुए जदयू ने इस अभियान की शुरुआत की है. पढ़ें, विस्तार से.

जदयू का पोल खोल अभियान
जदयू का पोल खोल अभियान

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 15, 2023, 3:58 PM IST

जदयू का पोल खोल अभियान.

पटना: जदयू लगातार भाजपा के खिलाफ पोल खोल अभियान चल रहा है. शुक्रवार 15 सितंबर से तीसरे फेज का अभियान शुरू हुआ है. यह अभियान 20 सितंबर तक चलेगा. इसमें जदयू नेता अपने घरों पर काला झंडा और काली पट्टी लगाकर विरोध कर रहे हैं. जदयू कार्यालय में भी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता आज काली पट्टी लगाकर पहुंचे. बता दें कि जातीय गणना के कार्य को बाधित करने का आरोप भाजपा पर लगाते हुए जदयू पोल खोल अभियान शुरू किया है.

इसे भी पढ़ेंः JDU Pol Khol Abhiyan: 'भाजपा के दोहरे चरित्र को जनता के सामने लाने की तैयारी'- उमेश कुशवाहा

"मुख्यमंत्री ने बिहार में जातीय गणना कार्य शुरू करवाया है. बीजेपी इसे साजिश के तहत रोकना चाहती थी. जातीय गणना अति पिछड़ा और शोषित वर्ग के लिए योजना बनाने के उद्देश्य किया गया है. लेकिन, जिस प्रकार से भाजपा साजिश कर रही है उसी के विरोध में पूरे बिहार में जदयू के नेता और कार्यकर्ता अपने घरों पर काला झंडा और काली पट्टी लगाकर विरोध कर रहे हैं."- राहुल खंडेलवाल, प्रदेश सचिव, जदयू

क्या है जदयू का पोल खोलः जदयू का आरोप है कि बीजेपी पटना हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक साजिश के तहत इस मामले को ले गई है. इसे रोकने का पूरा प्रयास की है. बीजेपी के इसी साजिश का पोल खोल जदयू की ओर से किया जा रहा है. दो चरण का अभियान पहले ही पूरा हो चुका है. 1 से 5 सितंबर तक सभी जिला मुख्यालय में मशाल जुलूस निकल गया था. 7 सितंबर से 12 सितंबर तक प्रखंड स्तर पर मशाल जुलूस निकालकर विरोध किया गया.

जातीय गणना में अबतक क्या हुआ: 9 जून 2022 को बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित गणना कराने की अधिसूचना जारी की गई थी. 7 जनवरी 2023 से बिहार में जातीय गणना की प्रक्रिया शुरू हुई थी, दूसरे चरण का कार्य 15 अप्रैल से शुरू हुआ और 15 मई तक इसे पूरा करना था. इस बीच पटना हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार के द्वारा की जा रही जातीय व आर्थिक सर्वेक्षण पर रोक लगा दी थी. बाद में कोर्ट ने इसे जारी रखने का आदेश दिया. इसके बाद इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी. फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

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