नीतीश सरकार पर उठने लगे सवाल. पटनाः बिहार में 102 आपात सेवा के तहत एंबुलेंस चलाने का ठेका पशुपतिनाथ डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिडेट (पीडीपीएल) को दिया गया था. सरकार की योजना के तहत एंबुलेंस गंभीर बीमार लोगों, गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों को अस्पताल पहुंचाती है. इसके बदले में मरीजों से कोई फीस नहीं ली जाती है. पीडीपीएल जदयू सांसद चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी के रिश्तेदारों की कंपनी है.
पटना हाई कोर्ट में मामला गयाः मिली जानकारी के अनुसार इस कंपनी में सांसद के कई रिश्तेदार निदेशक पद पर हैं. इनमें सांसद के बेटे सुनील कुमार, सुनील कुमार की पत्नी नेहा रानी, सांसद के बेटे जितेंद्र कुमार की पत्नी मोनालिसा और सांसद के बहनोई योगेंद्र प्रसाद निराला हैं. इस तरह ये कंपनी एक तरह से घर की ही है. इस कंपनी को बिहार में एंबुलेंस चलाने के लिए दूसरी बार ठेका मिला है. इस बार ठेके लिए पीडीपीएल ने अकेले ही दावेदारी की थी. कंपनी के खिलाफ अनियमितता के आरोप लगे और पटना हाई कोर्ट में मामला गया.
हाईकोर्ट ने सरकार के निर्णय को मनमाना बतायाः पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार को नीतीश कुमार का खुला संरक्षण प्राप्त है. मोदी ने कहा कि अनियमितता के कारण जहानाबाद से जदयू सांसद चंद्रेश्वर चंद्रवंशी के परिजनों की कंपनी पशुपति डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड (पीडीपीएल) को स्वास्थ्य विभाग से मिला 1600 करोड़ का ठेका 10 नवम्बर 2023 को हाईकोर्ट को रद्द करना पड़ा. सुशील मोदी ने कहा कि पीडीपीएल का ठेका रद्द करने का आदेश जारी करते हुए पटना हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार के निर्णय को मनमाना, अतार्किक, नियम-विरुद्ध और संविधान के अनच्छेद 14 के विरुद्ध बताया.
कोर्ट के फैसले का पालन करेगी सरकारः भाजपा प्रवक्ता राकेश कुमार सिंह ने कहा कि "पूरे मामले में अब जांच होनी चाहिए. सांसद के परिवार की कंपनी को जिस प्रकार से ठेका दिया गया और पटना हाई कोर्ट ने रद्द किया है यह बड़ा मामला है". वहीं जदयू और राजद के नेता कह रहे हैं कि यह तो हाई कोर्ट का फैसला है. हाई कोर्ट का जो फैसला हुआ है सरकार उसका पालन करेगी. जदयू मंत्री जयंत राज का कहना है कि "यह ठेका उस समय दिया गया जब स्वास्थ्य मंत्री भाजपा के ही थे". आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि "पटना हाई कोर्ट का जो फैसला हुआ है सरकार उसके हिसाब से काम करेगी. हम लोगों की सरकार ना तो किसी को फंसाती है और ना ही किसी को बचाती है."
राजद विधायक ने की थी शिकायतः जब यह ठेका दिया गया था तो उस समय स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे थे. राजद के नेता उस समय इस ठेका पर कई तरह के सवाल खड़ा कर रहे थे. उन्होंने इस ठेका के खिलाफ पत्र भी लिखा था. पत्र लिखने वाले राजद के तीन विधायकों में विधायक मुकेश रोशन भी थे. लेकिन अब पटना हाई कोर्ट के फैसले के बाद कहना है कि की हाई कोर्ट का फैसला क्या आया है मुझे जानकारी नहीं है. वही जहानाबाद के सांसद चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी भी इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. वैसे जदयू सांसद चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी लगातार कहते रहे हैं कि जिस कंपनी को ठेका दिया गया उससे उनका कोई लेना-देना नहीं है. परिवार के सदस्य उस कंपनी को चलाते हैं.
क्या है नियमः नियम के अनुसार अगर कोई कंपनी अकेले ही बोली लगा रही है, तो उसके पास पिछले तीन सालों के दौरान कम से कम 750 एंबुलेंस को चलाने का अनुभव है. इसके अलावा 50 एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस और कम से कम 75 सीटों वाला कॉल सेंटर होना चाहिए. लेकिन पीडीपीएल ने बिहार में अकेले कभी एंबुलेंस नहीं चलाई थी. उसके पास सिर्फ 50 सीटों का कॉल सेंटर था.
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