पटना: एनडीए में सीटों के बंटवारे पर औपचारिक ऐलान बाकी है. लेकिन जदयू ने नेताओं को सिंबल देना शुरू कर दिया है. लगभग 25 से 30 विधायकों और मंत्रियों को पार्टी ने सिंबल दे दिया है और वह क्षेत्र में जा चुके हैं. डुमरांव से जेडीयू विधायक ददन पहलवान का नीतीश कुमार ने टिकट काट दिया है. इस बार डुमरांव से जेडीयू ने पार्टी प्रवक्ता अंजुम आरा को मैदान में उतारा है.
अंजुम आरा, जेडीयू प्रवक्ता क्या कहती हैं जेडीयू उम्मीदवार अंजूम आरा
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भले ही दिल्ली मे बीजेपी के बड़े नेता बैठक कर रहे हैं, लेकिन जदयू ने प्रथम चरण के उम्मीदवारों का नामों का एलान करना शुरू कर दिया है. बक्सर के डूमरांव विधानसभा क्षेत्र से नये प्रत्याशी के तौर पर पार्टी प्रवक्ता अंजूम आरा पर भरोसा जताया है. उन्हें वहां से उम्मीदवार बनाया है. सिंबल लेकर सीएम आवास से बाहर निकली अंजूम आरा ने कहा कि मै मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भरोसे पर खरा उतरूंगी. अंजूम आरा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस बार यूथ पर भरोस किया है.
जेदयू-बीजेपी में अभी सिट बंटवारा नहीं हो पाया है. ऐसे मे जदयू सिंबल देना शुरू कर दिया है. इस सवाल पर अंजूम आरा बताती हैं कि जदयू-बीजेपी मे क्या हो रहा है इसकी जानकारी हमें नहीं है. लेकिन बिहार में एक मजबूत सरकार बनाने के लिए एनडीए के सभी उम्मीदवार को जीत मिलेगी.
जानें क्या है पूरा मामला
NDA में सीट शेयरिंग से पहले नीतीश टिकट बांट रहे है. लेकिन ददन पहलवान के टिकट कटने के बाद कई तरह की चर्चाए हैं. एक चर्चा यह भी है कि नीतीश कुमार के ऊपर जनवरी 2018 में डुमरांव में पत्थरबाजी हुई थी. नीतीश कुमार उस समय समीक्षा यात्रा के लिए वहां पहुंचे थे. जिस इलाके में नीतीश कुमार पर पत्थरबाजी हुई थी, वह ददन पहलवान का विधानसभा क्षेत्र था. इस घटना से नीतीश कुमार बेहद खफा थे.
ददन का राजनीति सफर
वर्ष 1995 में ददन ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. वे दूसरे स्थान पर रहे. फिर 2000 में निर्दलीय लड़े और पहली बार विधानसभा पहुंचे. 2000-05 वाली सरकार के एक महत्वपूर्ण उलटफेर में ददन ने राजद की सरकार बचाई थी. लालू ने खुश हो कर राबड़ी देवी की सरकार में वित्त वाणिज्य कर राज्य मंत्री बनाया था. इसके बाद भी वह राजद में शामिल नहीं हुए और 2005 में निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे.
बक्सर से लड़ा लोकसभा का चुनाव
2004 में ददन ने बक्सर संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा, पर हार गए. वर्ष 2009 में फिर लोकसभा का चुनाव लड़ा और हार गए. इसके बाद राजनीति करियर को बचाने के लिए बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए और 2014 में लोकसभा चुनाव लड़े पर हार गए.