पटनाःराजद सुप्रीमोलालू यादव की बेटियों और उनके रिशतेदारों पर ईडी की 15 घंटे से ज्यादा देर तक चली छापेमारी को लेकर पूरा विपक्ष आग बबूला है. विपक्ष के लोग इसकी निंदा कर रहे हैं. बिहार में आरजेडी की समर्थक जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है. उन्होंने कहा कि साफ कहा कि 'ये अघोषित आपातकाल है. गर्भवती महिला और छोटे-छोटे बच्चों के साथ इस तरह का निर्मम आचरण देश में पहली बार हुआ है, देश इसको याद रखेगा. दमन चाहे जितना कर लें, 2024 में देश भाजपा मुक्त होगा'.
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जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने आगे लिखा कि "नौकरी के बदले जमीन मामले में सीबीआई दो बार जांच कर साक्ष्य नहीं जुटा पाई. लेकिन 9 अगस्त 2022 के बाद अचानक दिव्यशक्ति से उनको साक्ष्य मिलने लग गया और माननीय लालू प्रसाद जी एवं उनके परिजनों के यहां भारी छापेमारी हुई, खोदा पहाड़ निकली चुहिया". अरे भाई...! साक्ष्य नहीं भी मिलता तो साक्ष्य दिखाने के लिए पालतू तोतें कुछ भी कर सकते हैं. गाय का सींग भैंस में और भैंस का सींग गाय में जोड़ रहे हैं. अखबार कहता है- 'एके इंफोसिस्टम के कारण छापा डाला गया है'... जिसका नौकरी से कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन खैर पालतू तोते अपने मालिक का निर्देश पाकर कुछ भी कर सकते हैं"
ईडी की छापेमारी पर सिसायत गर्मःआपको बता दें कि लालू यादव और उनके परिवार पर ईडी और सीबीआई का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. बीते शुक्रवार को ईडी ने जमीन के बदले नौकरी मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की तीन बेटियों समेत रिश्तेदारों और पार्टी के पूर्व विधायक अबु दोजाना के घर पर छापेमारी की थी और अब तेजस्वी यादव को भी इसी मामले में समन भेजा गया है. जबकि तेजस्वी यादव का नाम इस मामले में पहले कभी नहीं आया था. लगातार रहो रही ईडी और सीबीआई की इस छापेमारी से महागठबंधन के तमाम दल बीजेपी और केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं. वहीं बीजेपी भी इन आरोपों पर अपने-अपने अंदाज में जवाब दे रही है.