पटना:पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम (Assembly Election in Five States) की घड़ी अब आ गई है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में अगले पांच साल के लिए जनता ने किस दल को अपना आशीर्वाद दिया है, इसका फैसले कुछ ही समय में हो जाएगा. बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू भी यूपी और मणिपुर में अपना भाग्य आजमा रही है. जेडीयू अपने गृह क्षेत्र के बाहर अपना आधार बढ़ाने और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने की कवायद में जुटी हुई है. जो काफी हद तक इन चुनावी नतीजों पर निर्भर है.
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यूपी और मणिपुर के नतीजों पर जेडीयू की नजर:जेडीयू भले बिहार में बीजेपी के साथ सरकार चला रही हो, लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव(UP Assembly Election)में कांटे की टक्कर दे रही है. जेडीयू ने छठे और सातवें चरण में अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है. बिहार की सीमा से सटे यूपी के कई इलाकों में जेडीयू को कामयाबी मिलने की उम्मीद है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की जेडीयू ने 28 सीटों पर चुनाव लड़ा है. वहीं, जेडीयू ने मणिपुर विधानसभा चुनाव(Manipur Assembly Election) में कुल 60 सीटों में से 38 सीटों पर चुनाव लड़ा है. 38 सीटों में से 28 पर 28 फरवरी को मतदान हुआ था. वहीं, बाकी की 10 सीटों पर 5 मार्च को मतदान हुआ था. अब सभी की निगाहें चुनावी नतीजों पर टिकी हुई है.
यूपी में जातियों में उलझा पूर्वांचल:दरअसल, यूपी में जातियों में उलझा पूर्वांचल (Caste Equation in Purvanchal) हर सियासी दल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. छोटे दलों की ताकत पूर्वांचल में 2017 के चुनावों में खूब उभरकर सामने आई थी. तब बीजेपी गठबंधन को तकरीबन 115 सीटें मिली थी, जिसकी दम पर वह सत्ता पर काबिज हुए थे. सपा को 17 सीटें हासिल हुई थी. बसपा के खाते में भी 14 सीटे आई थी. जबकि कांग्रेस को 2 और अन्य के खाते में 16 सीटें मिली थी. 2017 में अमित शाह ने पिछड़ों और अति पिछड़ों को अपने पाले में खड़ा कर एक नया राजनीतिक फार्मूला इजाद किया था. पटेल, मौर्य, चौहान, राजभर और निषाद जैसी जातियों के प्रमुख राजनीतिक चेहरों को अपने साथ लिया था. ऐसे में जेडीयू ने बीजेपी की चिंता जरूर बढ़ा दी है.