पटना : साल 2021 में खीरू महतो को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने झारखंड जदयू का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. अभी हाल में नीतीश कुमार अपने गृह जिले के से आने वाले श्रवण कुमार को झारखंड का जदयू का प्रभारी बनाया है और अब खीरु महतो को राज्यसभा भेजा जा रहा है. ये सब जल्दबाजी में नहीं हुआ. इसके पीछे एक लंबी रणनीति काम कर रही थी. बता दें कि खीरू महतो पार्टी के एक बार विधायक भी रह चुके हैं. इससे पहले भी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.
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जेडीयू का झारखंड मिशन: ऐसे तो यह प्लान ललन सिंह का है जिस पर नीतीश कुमार ने मुहर लगाया है. 2024 में झारखंड विधानसभा का चुनाव है 2024 में ही लोकसभा का चुनाव होगा तो एक साथ दो दो चुनाव पर जदयू की नजर है. झारखंड कभी बिहार का हिस्सा हुआ करता था और इसलिए जदयू को लगता है कि झारखंड में पार्टी के लिए काफी संभावना है. एक समय पार्टी के 6-7 विधायक हुआ करते थे और सरकार में जदयू भागीदार भी हुआ करती थी. महत्वपूर्ण विभाग के मंत्रालय जदयू के पास हुआ करता था. लेकिन बाद में संगठन कमजोर होता गया और पार्टी सिमटती गई. आज जदयू का झारखंड में एक भी विधायक नहीं है. लेकिन नीतीश कुमार ने नया दांव खेला है और पार्टी नेताओं को भी पूरी उम्मीद है कि वहां संगठन को मजबूती मिलेगी और 2024 के चुनाव में पार्टी को बंपर सफलता मिलेगी. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी इस बात को क्लियर कर चुके हैं.
'हम लोग झारखंड में पार्टी का विस्तार करना चाहते हैं. खीरू महतो की राज्यसभा उम्मीदवारी के बाद हमारी पार्टी का झारखंड में विस्तार होगा. आरसीपी सिंह हमारी पार्टी के सम्मानित नेता हैं. इस पार्टी में जो भी सर्वोच्च पद है उनको मिला है. दो टर्म वो राज्यसभा के एमपी रहे हैं. पार्टी की मजबूती के लिए आरसीपी सिंह आज भी काम करेंगे. जेडीयू में इस फैसले के बाद कोई टूट नहीं होगी. पार्टी और मजबूत होगी. चाहे हम हों, आरसीपी सिंह हों, उपेन्द्र कुशवाहा जी हों या फिर उमेश कुशवाहा जी हों सभी लोग नीतीश कुमार की मजबूती के लिए काम करते हैं'- ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जेडीयू
'नीतीश का जानदार शानदार फैसला': जेडीयू के मंत्री और झारखंड के प्रभारी श्रवण कुमार का कहना है नेता नीतीश कुमार ने शानदार जानदार फैसला लिया है. कार्यकर्ता को वहां से राज्यसभा भेजा है. खीरू महतो में तो पहले भी वहां से विधायक रहे हैं और पहले भी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. जदयू झारखंड पर इतना मेहरबान क्यों हैं? इस पर सरवन कुमार का कहना है बिहार बड़ा भाई है. यहां 16-17 सालों से पार्टी की सरकार है. झारखंड छोटा भाई है लेकिन वहां एक Yr विधायक नहीं है तो हम लोग चाहते हैं वहां भी पार्टी की सरकार हो.
नीतीश का नया दांव: वहीं बीजेपी के सांसद रामकृपाल यादव का कहना है कि जदयू राष्ट्रीय पार्टी बनने की कोशिश कर रही है. ऐसे में खीरू महतो वहां के प्रदेश अध्यक्ष हैं और पुराने कार्यकर्ता हैं पार्टी ने उन्हें सम्मानित किया है. खीरु महतो को जदयू ने पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का टिकट काटकर उम्मीदवार बनाया है. जदयू के लिए यह जोखिम भरा फैसला भी हो सकता है. लेकिन नीतीश कुमार ने नया दांव खेला है. अब देखना है कि 2024 में झारखंड में पार्टी कितना सफल होती है. क्योंकि, झारखंड विधानसभा चुनाव के रिजल्ट से जदयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी प्राप्त हो सकता है. नीतीश कुमार पिछले तीन दशक से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने की कोशिश में लगे हैं. लेकिन, सफलता नहीं मिली है. ऐसे में झारखंड उन्हें यह सफलता दिला सकती है.
राष्ट्रीय पार्टी बनने की अर्हता: आखिर राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए भारत के निर्वाचन आयोग ने क्या अर्हता रखी है, आइये इसे भी जान लेते हैं. दरअसल भारत निर्वाचन आयोग ने तीन अहर्ता रखी हैं और तीनों में से यदि कोई पार्टी एक भी अहर्ता को पूरा करती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा आयोग देता है.
- 3 राज्यों के लोकसभा चुनाव में 2 प्रतिशत सीटें जीतना.
- 4 लोकसभा सीटों के अलावे किसी लोकसभा या विधानसभा चुनाव में 6 फीसदी वोट प्राप्त करना.
- 4 या अधिक राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करना.
फिलहाल जेडीयू इन तीनों अहर्ता में से किसी भी अहर्ता को पूरा नहीं कर रहा है. पार्टी को अभी केवल 2 राज्यों में ही राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ है. एक बिहार और दूसरा अरुणाचल प्रदेश में. ऐसे में पार्टी को कम से कम दो और राज्यों में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करना होगा. झारखंड पर भी पार्टी की इसीलिए नजर है.
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