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BJP-JDU का चुनावी तालमेल, इन वजहों से दोनों नहीं छोड़ना चाहते एक-दूसरे का साथ - नवल यादव

आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू गठबंधन से पहले जैसे परिणाम की अपेक्षा कर रहे हैं. दोनों पार्टियों का साथ में चुनाव में परफॉर्मेंस काफी अच्छा रहा है.

bihar assembly election
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Published : Sep 3, 2020, 2:34 PM IST

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के दिन नजदीक हैं. नीतीश कुमार इस बार फिर एनडीए गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे. जेडीयू और बीजेपी का साथ काफी पुराना है. बीजेपी नीतीश कुमार के साथ चुनाव में अपना परफॉर्मेंस लगातार बेहतर देती रही है. 2015 विधानसभा चुनाव के समय नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन का दामन थाम लिया था तब बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. विशेषज्ञों के अनुसार दोनों पार्टियां एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ना चाहती.

देखें रिपोर्ट

घट गई थी सीट
एनडीए गठबंधन और नीतीश कुमार का तालमेल काफी पुराना है. 2005 में दो बार विधानसभा के चुनाव हुए. फरवरी में हुए चुनाव से अक्टूबर में और बेहतर रिजल्ट आया और 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में तो बीजेपी का सबसे बेहतर परफॉर्मेंस रहा. 2015 में नीतीश कुमार ने बीजेपी से अलग चुनाव लड़ा. उस समय बीजेपी सत्ता से भी बाहर हो गई और पार्टी की सीट भी घटकर लगभग आधी रह गई.

विधानसभा चुनाव के आंकड़े भी बताते हैं जेडीयू और बीजेपी एक साथ रहने से हमेशा बेहतर परफॉर्मेंस देते रहे हैं.

जेडीयू के चुनावी आंकड़े

साल सीटों पर लड़ी चुनाव जीत वोट प्रतिशत
2005 (फरवरी) 138 55 14.55%
2005 (अक्टूबर) 139 88 20.46%
2010 (अक्टूबर) 141 115 22.58%
2015(अक्टूबर) 101 71 16.83%

जेडीयू 2005 के विधानसभा चुनाव से लेकर 2010 तक के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ एनडीए में थी, लेकिन 2015 में महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ी.

नीतीश कुमार के साथ चुनाव लड़ने पर बीजेपी का परफॉर्मेंस लगातार बेहतर रहा 2005 फरवरी के चुनाव में बीजेपी को केवल 23 सीट पर विजय मिली थी, लेकिन 2010 के चुनाव में 91 सीट जीती.

बीजेपी के चुनावी आंकड़े

साल सीटों पर लड़ी चुनाव जीत वोट प्रतिशत
2005 (फरवरी) 103 37 10.97%
2005 (अक्टूबर) 102 55 15.65%
2010 (अक्टूबर) 102 91 16.49%
2015(अक्टूबर) 157 53 24.42%

2010 तक बीजेपी जेडीयू के साथ चुनाव लड़ती रही. उसकी सीट संख्या लगातार बढ़ती गई, लेकिन जैसे ही 2015 में पार्टी ने नीतीश कुमार से अलग चुनाव लड़ा बीजेपी का वोट प्रतिशत तो जरूर बढ़ा लेकिन सीट कम मिली.

जेडीयू मंत्री महेश्वर हजारी


"बीजेपी के साथ वर्षों का संबंध रहा है. 2015 में दुर्भाग्य से गठबंधन टूट गया और महागठबंधन का निर्माण भी नीतीश कुमार ने ही किया था. उनके वहां से निकलने से महागठबंधन खत्म हो गया. बीजेपी के साथ हम लोगों का मन मिलता है जिससे विकास कार्य तेजी से हो पाता है."
- महेश्वर हजारी, मंत्री जेडीयू

बीजेपी नेता नवल यादव

"सभी के चेहरे की जरूरत है जनता तभी स्वीकार करती है"
- नवल यादव, नेता बीजेपी

राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर डीएम दिवाकर

"नीतीश कुमार के चेहरे के कारण बीजेपी को पिछड़ाऔर अल्पसंख्यक वोट का लाभ मिलता रहा है. बीजेपी अलग रहेगी तो यह लाभ नहीं मिल सकता. दूसरी तरफ नीतीश कुमार को भी अपर कास्ट का वोट बीजेपी के साथ रहने के कारण मिलता रहा है. बीजेपी को यह डर भी बना रहता है कि अलग होने पर नीतीश आरजेडी के साथ न चले जाएं. पार्टी यह 2015 में आजमा चुकी है. इसलिए बीजेपी नीतीश कुमार को गंवाना नहीं चाहती."
-राजनीतिक विशेषज्ञ, प्रोफेसर डीएम दिवाकर



नीतीश और बीजेपी एक दूसरे की मजबूरी
नीतीश कुमार के साथ बीजेपी का गठबंधन पार्टी के लिए लाभदायक रहा है. नीतीश के साथ रहने से बीजेपी बिहार के सत्ता में भागीदार बनी रही और साथ छोड़ने पर सत्ता से भी बाहर हो गई. लोकसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार के साथ रहने पर एनडीए का परफॉर्मेंस शानदार रहा. नीतीश से अलग होने पर बीजेपी को जरूर लाभ मिला लेकिन एनडीए को कम सीट मिली. बिहार में वोट की जातीय और सामाजिक समीकरण ने नीतीश और बीजेपी को एक दूसरे के लिए मजबूरी बना दिया है. अब बीजेपी और नीतीश एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ना चाहते हैं.

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