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Published : May 30, 2020, 11:45 AM IST

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तो अमेरिका से लेकर यूरोप तक नहीं पहुंच पाएगा जर्दालु आम और शाही लीची का स्वाद?

बिहार के जर्दालु आम और शाही लीची की डिमांड विदेशों में सबसे ज्यादा की जाती है. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से ये विदेशों में निर्यात नहीं किया जा सकता. लिहाजा किसानों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.

ईटीवी भारत
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पटना: बिहार के जर्दालु आम और शाही लीची के निर्यात पर ग्रहण लगता दिख रहा है. कोरोना वायरस और लॉक डाउन के चलते फल उत्पादक किसान बेबस नजर आ रहे हैं. सरकार ने फल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पैक हाउस की स्वीकृति दे दी है. दूसरी ओर बिहार में आम और लीची की होम डिलीवरी की भी शुरू की गई है.

बिहार के जर्दालु आम और शाही लीची को जीआई टैग हासिल हैं. लजीज स्वाद के चलते दोनों फलों की विदेशों में काफी डिमांड है लेकिन इस बार लॉक डाउन के चलते शाही लीची और जर्दालु आम अपनी पहुंच विदेशों तक नहीं बना पाएगा. इसके चलते किसानों को शायद पहले की तरह कीमत भी हासिल नहीं हो पाएगी. बिहार में 1लाख 49 हजार हेक्टेयर भूमि में आम की खेती होती है. हर साल 24 लाख 43 हजार मीट्रिक टन आम का उत्पादन होता है. उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश के बाद आम उत्पादन में बिहार का तीसरा स्थान है.

पटना से रंजीत की रिपोर्ट

जर्दालू आम और शाही लीची का निर्यात
साल 2019-20 में 29 हजार टन आम का निर्यात हुआ था. लेकिन इस बार लॉक डाउन के चलते शायद निर्यात संभव नहीं हो पाएगा. बिहार में 4 लाख 25 हजार हेक्टेयर भूमि में लीची की खेती की जाती है. इससे बिहार में तकरीबन 8 लाख मीट्रिक टन लीची का उत्पादन होता है, जो पूरे देश का 42% हिस्सा है. इसमें 70% शाही लीची का उत्पादन मुजफ्फरपुर में होता है. मुजफ्फरपुर की शाही लीची अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, नीदरलैंड और खाड़ी के देशों तक निर्यात होती है. हर साल 5 से 6 हजार मीट्रिक टन लीची का निर्यात किया जाता है. 90% लीची का अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और यूरोप में निर्यात होता है.

डीएम दिवाकर, अर्थशास्त्री

कृषकों को नहीं मिल रही अच्छी कीमत
अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर का मानना है कि फल और सब्जी के उत्पादक लॉकडाउन में सबसे ज्यादा परेशान हैं. उन्हें उत्पादन की कीमत ही नहीं मिल पा रही है. बिहार में तीन कृषि रोड मैप हो चुके हैं. लेकिन कृषकों को उत्पादन के एवज में उचित कीमत अब तक नहीं मिल पाई है. जब तक हमारे राज्य में कोल्ड स्टोरेज उच्च गुणवत्ता वाले नहीं होंगे, तब तक निर्यात को बढ़ावा नहीं दिया जा सकेगा.

कृषि मंत्री प्रेम कुमार

पटना एयरपोर्ट पर बनेगा पैक हाउस
कृषि मंत्री प्रेम कुमार किसानों के हालात को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि फलों को स्टोर करने के लिए पटना एयरपोर्ट पर पैक हाउस बनाने की स्वीकृति दी जा चुकी है. 5 से 6 हजार मीट्रिक टन लीची प्रोसेसिंग के बाद खाड़ी देशों में भेजी जाती है. हम लीची और आम लोगों के घरों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

डीएम दिवाकर, अर्थशास्त्री

होम डिलीवरी की सुविधा
बिहार के चीफ पोस्टमास्टर जनरल अनिल कुमार ने कहा, 'उद्यान विभाग के साथ हमारा करार है. लीची के 2 किलो का पैकेट और जर्दालु आम के 5 किलो का पैकेट हम लोगों के घरों तक पहुंचाएंगे. जर्दालु आम और शाही लीची लोग ऑनलाइन बुक कर सकते हैं. डाकघर के जरिए लोगों के घर तक आम और लीची पहुंचायी जाएगी. लीची पहुंचाने में 1 से 2 दिन का समय लगेगा और आम को पहुंचाने में 5 से 6 दिन का समय लग सकता है.

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