पटना: बिहार के जर्दालु आम और शाही लीची के निर्यात पर ग्रहण लगता दिख रहा है. कोरोना वायरस और लॉक डाउन के चलते फल उत्पादक किसान बेबस नजर आ रहे हैं. सरकार ने फल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पैक हाउस की स्वीकृति दे दी है. दूसरी ओर बिहार में आम और लीची की होम डिलीवरी की भी शुरू की गई है.
बिहार के जर्दालु आम और शाही लीची को जीआई टैग हासिल हैं. लजीज स्वाद के चलते दोनों फलों की विदेशों में काफी डिमांड है लेकिन इस बार लॉक डाउन के चलते शाही लीची और जर्दालु आम अपनी पहुंच विदेशों तक नहीं बना पाएगा. इसके चलते किसानों को शायद पहले की तरह कीमत भी हासिल नहीं हो पाएगी. बिहार में 1लाख 49 हजार हेक्टेयर भूमि में आम की खेती होती है. हर साल 24 लाख 43 हजार मीट्रिक टन आम का उत्पादन होता है. उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश के बाद आम उत्पादन में बिहार का तीसरा स्थान है.
जर्दालू आम और शाही लीची का निर्यात
साल 2019-20 में 29 हजार टन आम का निर्यात हुआ था. लेकिन इस बार लॉक डाउन के चलते शायद निर्यात संभव नहीं हो पाएगा. बिहार में 4 लाख 25 हजार हेक्टेयर भूमि में लीची की खेती की जाती है. इससे बिहार में तकरीबन 8 लाख मीट्रिक टन लीची का उत्पादन होता है, जो पूरे देश का 42% हिस्सा है. इसमें 70% शाही लीची का उत्पादन मुजफ्फरपुर में होता है. मुजफ्फरपुर की शाही लीची अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, नीदरलैंड और खाड़ी के देशों तक निर्यात होती है. हर साल 5 से 6 हजार मीट्रिक टन लीची का निर्यात किया जाता है. 90% लीची का अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और यूरोप में निर्यात होता है.