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CAG की एक और रिपोर्ट से घिरी सरकार, 'ग्रामीण विद्युतीकरण में गड़बड़ी से करोड़ों का नुकसान' - बिहार सरकार को करोड़ों का नुकसान

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट से ये खुलासा हुआ है. विधानसभा में पेश सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार बिजली कंपनियों की ओर से जो डीपीआर बनाए गए, उसमें कई गड़बड़ियां थीं. कंपनी ने ऐसी कोई योजना नहीं बनाई, जिससे उद्योगों के लिए आवश्यक भार को पूरा किया जा सके.

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Published : Mar 25, 2021, 12:23 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा में पेश किए गए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी की रिपोर्टमें कई तरह की अनियमितता सामने आई हैं. बिहार में सबसे अधिक बिजली क्षेत्र में काम करने का दावा नीतीश सरकार करती है लेकिन बिजली कंपनियों ने कई तरह की गड़बड़ी की है और उससे राज्य सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ है. सीएजी रिपोर्ट के अनुसार बिजली कंपनियों की ओर से दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत डीपीआर बनाने में कई तरह की गड़बड़ी की गई हैं.

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बिना सर्वेक्षण के बना डीपीआर
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है बिजली कंपनियों ने डीपीआर तैयार करने में घोर अनियमितता की है. बिना वास्तविक सर्वेक्षण और आवश्यकता तय किए डीपीआर तैयार कर लिया गया और इसके कारण 1632.67 करोड़ की परियोजना लागत की मंजूरी जल्दीबाजी में दे दी गई. इससे परियोजना की कुल लागत का 60% यानी 979 करोड़ के अनुदान की हानि हुई. है. यहीं नहीं, बिजली कंपनी की ओर से बीमा दावों का भी सही तरीके से निपटारा नहीं किया गया है. सीएजी ने कहा है कि सलाहकारों की नियुक्ति तभी की जानी चाहिए थी जब विभाग के पास विशेषज्ञ नहीं हो.

CAG रिपोर्ट में गड़बड़ी का खुलासा

ट्रांसफॉर्मर, सबस्टेशन के कार्य में गड़बड़ी
16 जिलों में हुई जांच के दौरान अनुमानित मात्रा और निष्पादित मात्रा में अंतर पाया गया है. सीएजी ने कहा है कि पोल, तार, ट्रांसफॉर्मर, केबल, सबस्टेशन के कार्य में अनियमितता पाई गई है और इसमें बिना किसी सर्वेक्षण के डीपीआर बनाकर काम किया गया है. सीएजी ने कहा है कि बिजली कंपनियों ने आउटसोर्सिंग कर एजेंसी के माध्यम से डीपीआर बनाया गया, जिसमें 3.15 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हुई है जबकि समझौते में इसका प्रावधान नहीं था.

CAG रिपोर्ट में गड़बड़ी का खुलासा

2 साल भी काम नहीं हुआ पूरा
सलाहकारों की नियुक्ति कर 22 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की गई है लेकिन इसकी भी कोई जरूरत नहीं थी. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विशेषज्ञ के नहीं रहने पर ही सलाहकार की नियुक्ति की जा सकती थी. डिस्कम्स राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत परियोजना को पूरा करने की निर्धारित तिथि से 2 वर्ष बाद भी पूरा नहीं कर सका. बीपीएल घरों के लिए उचित मात्रा की तुलना में प्रदान किए गए विद्युत संबंध 32% से 53% तक ही थे और इसके कारण राज कोष पर 830.47 करोड का अतिरिक्त बोझ पड़ा है.

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सरकार को करोड़ों का नुकसान
कुल मिलाकर देखे हैं तो सीएजी ग्रामीण विद्युतीकरण में बिजली कंपनियों के कई तरह के अनियमितता की बात अपनी रिपोर्ट में की है. और इसके कारण सरकार को राजस्व की बड़ी हानि हुई है. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ऊर्जा क्षेत्र की छांव कंपनियों में पूंजी ब्याज मुक्त भुगतान में चूक की गई.

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