पटना : गया के तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार (IPS Aditya Kumar) के द्वारा अपने दोस्त अभिषेक अग्रवाल से खुद पर लगे आरोप को खत्म करने को लेकर बिहार के डीजीपी को पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनकर किए गए फोन के बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है. विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार आर्थिक अपराध इकाई अब उनकी गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी भी कर रही है. यही नहीं विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस पूरे मामले में डीजीपी को अलग हटाकर एडीजी मुख्यालय इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले में एसआईटी की भी गठन किया जा सकता है.
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आदित्य कुमार पर कई आरोप :दरअसल, अभिषेक अग्रवाल ने डीजीपी को 22 अगस्त को पहला फोन किया था. डीजीपी द्वारा एफआईआर दर्ज कराने के दिन तक उनसे बातचीत होती रही. 15 अक्टूबर को दोपहर 3:00 बजे एफआईआर दर्ज कराई गई थी. गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार का यह कोई पहला मामला नहीं है, जिसको लेकर उनपर आरोप लगा है. एसपी से लेकर एसएसपी तक के सफर के दौरान उनपर कई दफे आरोप लग चुके है.
शादीशुदा महिला के साथ अफेयर की चर्चा :अगर गौर से देखा जाए तो आईपीएस आदित्य कुमार जहां भी पोस्टेड रहे (IPS Aditya Kumar Controversy) हैं वह वहां दागी रहे हैं. रोहतास में ट्रेनिंग पूरा करने के बाद दरभंगा के एसडीपीओ के रूप में पहली पोस्टिंग उन्हें मिली थी. यहां यह मुन्ना मुखिया के ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी को 4 दिनों में सुलझा कर चर्चा में आ गए थे. लेकिन तुरंत एक शादीशुदा महिला के साथ अफेयर की चर्चा के बाद यह विवादों में आ गए. इस मामले में महिला के ससुर ने पुलिस मुख्यालय से लेकर कोर्ट तक लिखित शिकायत की थी. इसकी सुनवाई अभी भी कोर्ट में चल रही है.
जहानाबाद में एकपक्षीय कार्रवाई का आरोप : 2015 में आदित्य कुमार को जहानाबाद के एसपी की जिम्मेदारी दी गई थी. तब उन पर एक पक्षीय कार्रवाई का आरोप लगा था. वहां के स्थानीय बताते हैं कि कब्रिस्तान की जमीन को लेकर दो पक्षों में मतभेद चल रहा था. प्रशासन पर जमीन की एकपक्षीय नापी का आरोप लगा. एसपी के विरोध में पूरा जहानाबाद जल उठा. 4 दिन तक पूरे इलाके में तनाव पूर्ण माहौल रहा. बाद में वरीय पदाधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ था.
बेगूसराय में अष्टधातु की मूर्ति चोरी मामला : इसके बाद आदित्य कुमार का ट्रांसफर जहानाबाद से बेगूसराय किया गया. लेकिन यहां भी इनके विवादों से नाता नहीं टूटा. यहां अष्ट धातु की मूर्ति चोरी कर ली गई थी. उस मूर्ति को 4 दिनों के अंदर ही बरामद कर लिया गया था. लेकिन कहा जाता है कि उस अष्टधातु की मूर्ति पर वहां के तत्कालीन एसपी आदित्य कुमार पर दिल आ गया. उन्होंने बाजार से उसी तरह का मूर्ति मंगवा कर मंदिर में लगवा दी. जिसके बाद ग्रामीणों ने उनकी चोरी को पकड़ लिया, जिसके बाद काफी हंगामा भी हुआ था.
जांच में खुलेगा DGP की मदद का राज :बिहार सरकार द्वारा गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार को निलंबित किए जाने के एक दिन बाद, पटना हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ वकील ने बुधवार को डीजीपी एस.के. सिंघल के खिलाफ एक याचिका दायर कर मामले की सीबीआई जांच की मांग की. वकील मणि भूषण प्रताप सिंह ने हाई प्रोफाइल मामले की जांच की मांग को लेकर शीर्ष अदालत में एक रिट याचिका दायर की. उन्होंने आरोप लगाया कि डीजीपी रैंक के एक अधिकारी की इस हरकत ने पूरी न्यायपालिका की छवि खराब की है.
फोन कॉल पर DGP कैसे दे सकते हैं क्लीन चिट? : वकील मणि भूषण प्रताप सिंह ने आरोप लगाया कि चूंकि आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) डीजीपी सिंघल के अधीन आती है, इसलिए वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने कहा, हमें इस मामले में सीबीआई जांच की आवश्यकता है क्योंकि इस मामले ने न्यायपालिका की छवि खराब की है. मेरा मानना है कि डीजीपी रैंक का अधिकारी साइबर जालसाज के दबाव में आकर दागी आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार को क्लीन चिट नहीं दे सकता. केवल फोन कॉल के आधार पर कोई डीजीपी उन्हें क्लीन चिट कैसे दे सकता है.