बिहार

bihar

ETV Bharat / state

फरवरी में नागालैंड चुनाव के बाद JDU राष्ट्रीय पार्टी हो जाएगी: अफाक अहमद खान - political developments in Manipur

मणिपुर में जेडीयू के 5 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए हैं (Five JDU MLA joins BJP in Manipur). अरुणाचल के बाद अब मणिपुर भी लगभग जेडीयू मुक्त हो गया है. हालांकि इससे जनता दल यूनाइटेड के नेताओं का जोश कम नहीं हुआ है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए जेडीयू विधान पार्षद अफाक अहमद खान ने कहा कि अभी फरवरी 2023 में नागालैंड का चुनाव है. हम दिखा देंगे कि जनता दल यूनाइटेड नॉर्थ ईस्ट में क्या है.

मणिपुर में राजनीतिक घटनाक्रम
मणिपुर में राजनीतिक घटनाक्रम

By

Published : Sep 4, 2022, 4:20 PM IST

पटना: अरुणाचल प्रदेश के बाद मणिपुर में भी जेडीयू के 5 विधायकों के बीजेपी में शामिल हो जाने के बाद जेडीयू बेशक हिल गई हो, लेकिन पार्टी के नेताओं को फिलहाल 2024 की लड़ाई के आगे फिलहाल कुछ नहीं दिख रहा. ईटीवी के नेशनल ब्यूरो चीफ राकेश त्रिपाठी ने इस बारे में नीतीश कुमार के विश्वस्त और जेडीयू विधान पार्षद अफाक अहमद खान (JDU MLC Afaq Ahmad Khan) से बात की. अफाक अहमद लोकदल के दिनों से नीतीश कुमार के साथ हैं और चुपचाप पर्दे की पीछे से पार्टी के लिए काम करने वालों में से है. पार्टी ने उन्हें उत्तर-पूर्व के राज्यों का इंचार्ज बना कर ज़िम्मेदारी दी, जिसे उन्होंने पूरा किया. मणिपुर में 6 सीटें जीतीं और अरुणाचल में सात और नागालैंड में एक सीट जीत कर उपस्थिति दर्ज कराई. ये बात और है कि अफाक अहमद खान के सारे किए कराए पर उन विधायकों ने पानी फेर दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. आप भी जानिए इस सामूहिक दल-बदल को लेकर क्या राय है. जेडीयू नेता और बिहार विधान परिषद के सदस्य अफाक अहमद खान की.

ये भी पढ़ेंं: BJP ने दिया JDU को जोर का झटका, राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा और PM उम्मीदवारी की मुहिम पर संशय

सवाल-आप की वजह से ही नागालैंड, अरुणाचल और मणिपुर में आपकी पार्टी ने अपनी जगह बनाई। लेकिन अरुणांचल और मणिपुर के कुल 13 में से 12 विधायकों के बीजेपी में शामिल हो जाने के बाद क्या रणनीति है आपकी?
जवाब- देखिए हम संगठन के लोग हैं और संगठन के मामले में हम आज भी मजबूत हैं. ये बात और है कि हमारे विधायकों को उन्होंने तोड़ा. जो बीजेपी अटल जी के जमाने की थी, आज वो बीजेपी नहीं है. जो बात हम लोग करते थे अटल आचार संहिता की, उसकी ये लोग धज्जियां उड़ा रहे हैं. अरुणाचल में तो उन्होंने तब ये काम किया था जब वो बिहार में हमारे साथ सरकार मे थे और उनके जो सबसे ज़िम्मेदार नेता थे उस समय पार्टी के, जो आज कल गृहमंत्री हैं, उन्होंने तो आश्वासन दिया था अरुणाचल में हमारे एक विधायक को मंत्री बनाने का. मंत्री बनाना तो दूर, बाद में उन्होंने हमारे 6 एमएलए तोड़ लिए और अभी महागठबंधन बनते ही बाकी बचे एक विधायक को ले गए लेकिन नागालैंड हो, मणिपुर हो या अरुणाचल, हम इन सब जगहों पर बीजेपी के खिलाफ लड़ कर जीते थे. हमारा किसी से कोई गठबंधन नहीं था. हम अकेले लड़े और जीते. इन लोगों ने खूब कोशिश की कि हमारे नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में संगठन के भी लोगों को ले जाएं लेकिन हमारा संगठन वहां बहुत मजबूत स्थिति में है. हम फिर से और मजबूती से वहां उभरेंगे. अभी फरवरी 2023 में नागालैंड का चुनाव है. हम दिखा देंगे कि जनता दल यूनाइटेड नॉर्थ ईस्ट में क्या है.

सवाल:आप कार्यकारिणी की बैठक में 2024 की लड़ाई की रणनीति बनाने बैठे थे, लेकिन अब उससे पहले तो आपको मणिपुर के पलायन से निपटने की नौबत आ गई.

जवाब: मणिपुर में जो भी हुआ, उससे हम लोग हतोत्साहित नहीं हैं। प्रधानमंत्री नैतिकता की बड़ी बड़ी बातें करते हैं, उनकी पार्टी का असली चेहरा ये है। धन-बल की बदौलत दूसरी पार्टियों के विधायकों को खरीद रहे हैं.

सवाल: दो दिन पहले केसीआर के साथ नीतीश कुमार की जो प्रेस कांफ्रेंस हुई, उससे विपक्षी एकता की एक खराब छवि दिखी। ऐसा लगा कि साथ-साथ बैठ कर प्रेस कांफ्रेंस बेशक कर लें, हर एक नेता चाहता है कि प्रधानमंत्री मैं ही बनूं.

जवाब:एक चीज इसमें बहुत साफ समझ लीजिए। नीतीश जी की सिर्फ ये इच्छा है कि 2024 की लड़ाई के लिए वे विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर लें, जिनको प्रधानमंत्री बनना हो, वो बन जाएं. हमारे नेता प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार कतई नहीं हैं.

सवाल:लेकिन पटना में आप ने नया नारा तो चला दिया है-प्रदेश में दिखा है, देश में दिखेगा। वो किसके लिए?

जवाब: उसका मतलब ये कि देश में बदलाव दिखेगा। हमारी पार्टी और हमारे नेता का उद्देश्य है कि विपक्षी दल एक हों और इनको (बीजेपी को) सत्ता से बाहर किया जाय। यही दिखेगा.

सवाल:लोगों के मन में सवाल है कि जिन लोगों के साथ आपने दो बार अभी सरकार बनाई, अचानक क्यों उन्हें छोड़ दिया.

जवाब: कारण तो बहुत सारे हैं न। लोकसभा में तो ये हमारे साथ ठीक चले लेकिन विधानसभा चुनावों में इन्होंने हमारी पार्टी के साथ क्या किया. पहले तो राज्यसभा के हमारे एक एमपी को बिना हमारी सहमति के केंद्र में मंत्री बना दिया, जबकि 2019 में हम लोग मना कर चुके थे. तो ऐसी कई घटनाएं बार-बार होती रहीं। 2020 के चुनाव में जब हम कम सीटें जीते, तो हमारे नेता ने कहा ही कि हम मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते हैं लेकिन उनको विवश कर के बनाया गया. बनाने के बाद छोटे-छोटे नेताओं से उनको बेइज़्ज़त कराने की नाकाम कोशिश की गई. उसी में अरुणाचल की घटना भी शामिल है.

सवाल: जिस पार्टी यानी आरजेडी के साथ अब आप सरकार चला रहे हैं, उसकी छवि और आपकी पार्टी की छवि में बड़ा फर्क है. उससे आप को नुकसान नहीं होगा?

जवाब: वो तब की बात थी। अब वो माहौल नहीं है. भी हमारी प्राथमिकता है कि पहले उनको किनारे किया जाय, जो देश का नाश करने में लगे हुए हैं। एक बड़े उद्देश्य के लिए हम लोग लगे हुए हैं. मुख्यमंत्री जी ने बड़ी साफगोई के साथ ये कहा है कि हमारी कोई इच्छा नहीं है प्रधानमंत्री बनने की. उनकी सिर्फ एक इच्छा है और उसके लिए कार्यकारिणी ने उन्हें अधिकृत किया है कि वे विपक्षी दलों की एकता के लिए उनसे बात करें और इसी सिलसिले में वे 5 सितंबर को दिल्ली में रहेंगे और नेताओं से मिलेंगे.

सवाल: आप कह रहे हैं कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं.

जवाब:बिल्कुल नहीं हैं, बिल्कुल नहीं। सिर्फ एक मकसद है उनका, विपक्ष एक हो और इनको (बीजेपी) सत्ता से बाहर किया जाय.

सवाल: आप ने बीजेपी के बजाय आरजेडी को साथ ले लिया, मतलब ज़्यादा बुरे से कम बुरे को प्राथमिकता दी?

जवाब: ये मैंने नहीं कहा। प्राथमिकता की बात मैंने कही। अभी टॉप प्रायोरिटी ये है कि जो देश को बर्बाद करने में लगे हैं, पहले उनको उखाड़ फेंका जाय।

सवाल:लेकिन प्रदेश को बर्बाद करने वाले तो हैं आपके साथ?

जवाब: अभी तो ऐसी कोई बात नहीं है। ये तो माइंड डाइवर्ट करने की कोशिश की जा रही है.

सवाल:दो राज्यों में आपकी पार्टी के लगभग सारे विधायक चले गए. तो क्या उन राज्यों में आपकी पार्टी के प्रादेशिक पार्टी के दर्ज़े पर असर पड़ेगा?

जवाब:बिलकुल नहीं। तीन राज्यों में हम प्रादेशिक पार्टी हैं, चौथा राज्य हम नागालैंड में हो जाएंगे अगली फरवरी में, जब चुनाव होंगे. बेशक अरुणांचल और मणिपुर में हमारे विधायक हमें छोड़ कर चले गए, लेकिन वहां संगठन हैं. अरुणाचल में सात परसेंट हमारा वोट है. राष्ट्रीय पार्टी होने के लिए हमें अब बस एक राज्य चाहिए, वो हम पा जाएंगे नागालैंड के चुनावों में। बीजेपी की मंशा तो नॉर्थ ईस्ट में हमारा पूरा संगठन ही ले जाने की थी, जो नाकाम हो गई.

सवाल: क्या ये कोशिश थी कि आप की पार्टी को हाशिए पर कर दिया जाए?
जवाब:कोशिश तो इमरजेंसी लगा के भी की गई थी। जनता की ताकत सबसे बड़ी ताकत है और जिसको भी ये गलतफहमी है, वो दूर हो जाएगी जल्दी ही, ज़्यादा दिन नहीं है 2024 के चुनाव को.

ये भी पढ़ें:'दूसरी पार्टी से जीतने वाले MLA पर कब्जा करती है BJP', मणिपुर में JDU विधायकों के पाला बदलने पर भड़के नीतीश

ABOUT THE AUTHOR

...view details