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पटना: अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेले का आयोजन, चप्पे-चप्पे पर कैमरे की नजर - एसएसपी गरिमा मलिक

पुनपुन घाट प्रथम पिंडदान स्थली के नाम से जाना जाता है. जो भी पिंडदानी यहां पिंडदान करने आते हैं वो यहां पर पिंडदान करने के बाद ही गया धाम के लिए प्रस्थान करते हैं.

अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेला का आयोजन

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Published : Sep 12, 2019, 11:25 PM IST

पटना: गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला शुरू हो गया है, जो 17 दिनों तक चलेगा. जिले के उद्योग मंत्री श्याम रजक ने भी गुरुवार को पुनपुन में अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेला का उद्घाटन किया. मेले के चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी की मदद से कड़ी निगरानी भी रखी जा रही है. इस मौके पर पटना डीएम और एसएसपी ने आगंतुकों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा.

आपको बताते दें कि पुनपुन घाट प्रथम पिंडदान स्थली के नाम से जाना जाता है. जो भी पिंडदानी यहां पिंडदान करने आते हैं वो यहां पर पिंडदान करने के बाद ही गया धाम के लिए प्रस्थान करते हैं.

अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेले का आयोजन

पूर्वजों की सेवा करने की अपील
गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय पुनपुन पितृपक्ष मेले का उद्घाटन उद्योग मंत्री बिहार सरकार श्याम रजक ने विधिवत दीप जलाकर किया. मौके पर पटना डीएम कुमार रवि और एसएसपी गरिमा मलिक मौजूद रहीं. श्याम रजक ने पितृपक्ष मेले की सभ्यता और संस्कृति पर जोर देते हुए लोगों से पूर्वजों की सेवा करने की अपील की.

चप्पे-चप्पे पर कड़ी नजर

हिंदू मान्यताओं में है विशेष महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार इन दिनों पूर्वज हमारे घर में रहेंगे और तर्पण के माध्यम से तृप्त होंगे. कहा जाता है कि पुत्र का पुत्रत्व तभी सार्थक होता है, जब वह अपने जीवन काल में जीवित माता-पिता की सेवा करे और उनके मरणोपरांत मृत्यु तिथि और महालय (पितृपक्ष) में विधिवत श्राद्ध करे.

एसडीओ ने की पूर्वजों की सेवा करने की अपील

'पितरों का श्राद्ध करने से मोक्ष की प्राप्ति'
गया को विष्णु का नगर माना जाता है, जिसे लोग विष्णु पद के नाम से भी जानते हैं. यह मोक्ष की भूमि कहलाती है. विष्णु पुराण के अनुसार यहां पूर्ण श्रद्धा से पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष मिलती है. मान्यता है कि गया में भगवान विष्णु स्वयं पितृ देवता के रूप में उपस्थित रहते हैं. ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम, लक्ष्मण और सीता भी राजा दशरथ के पिंडदान के लिए यहीं आये थे. यही कारण है कि आज पूरी दुनिया अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए यहां आती है.

पुनपुन घाट पर पिंडदान करते पिंडदानी

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