पटना: बिहार में फर्जी सर्टिफिकेट (Duplicate Certificate) पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की निगरानी विभाग (Vigilance Department) की जांच कई सालों से लटकी हुई है. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद करीब एक लाख शिक्षकों के सर्टिफिकेट निगरानी को नहीं मिले. जिसके बाद शिक्षा विभाग को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा. फिर भी यह प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हुई है. इस बीच छठे चरण के नियोजन में चयनित अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की जांच का मामला शिक्षा विभाग के सामने है और अब माथापच्ची इस बात को लेकर है कि कैसे उन हजारों अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की जांच जल्द से जल्द पूरी हो सकती है.
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छठे चरण के प्राथमिक शिक्षक नियोजन में 90,762 पदों पर शिक्षकों की बहाली होनी है. दो राउंड में 38 हजार अभ्यर्थियों का चयन हो चुका है. उनके सर्टिफिकेट भी शिक्षा विभाग के पास मिल चुके हैं. जुलाई महीने में जिन अभ्यर्थियों को चयनित किया गया, उनके सर्टिफिकेट की प्रारंभिक जांच भी अब तक पूरी नहीं हो पाई है.
क्योंकि शिक्षा विभाग अब तक इस नतीजे पर नहीं पहुंचा है कि आखिर किस तरीके से चयनित अभ्यर्थियों के सभी सर्टिफिकेट की जांच संबंधित विश्वविद्यालय या संबंधित बोर्ड से कराई जाए. ताकि जल्द से जल्द उन्हें नियुक्ति पत्र दी जा सके. सूत्रों के मुताबिक शिक्षा विभाग में प्रक्रिया को लेकर माथापच्ची जारी है कि कैसे इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा कराया जाए.
शिक्षा विभाग के लिए यह एक बड़ा टास्क माना जा रहा है. क्योंकि पहले भी एक लाख से ज्यादा फर्जी शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच विभाग अब तक पूरी नहीं कर पाया है. बिहार में नियोजित करीब 4 लाख शिक्षकों में से करीब एक लाख शिक्षकों के फोल्डर निगरानी विभाग को नहीं मिल पाए. जिसकी वजह से उनके सही या गलत होने पर सवाल उठते रहे हैं.