पटना:राजधानी पटना के सबसे चर्चित अनुमंडल दानापुरऔर उसका पीपा पुल घाट दानापुर दियारा के लोगों के दर्द की अंतहीन कहानी को बयां करता है. दानापुर पीपा पुल से शुक्रवार को एक पिक अप गंगा नदी में गिर गई जिसमें 9 लोगों की जान चली गई. हालांकि इस घाट पर गंगा में लोगों के डूब जाने की यह पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं. विडंबना तो यह है कि सरकार यहां के दर्द को समझने को तैयार नहीं है. आलम यह है किस घटना के बाद भी अगर यहां जिंदगी चलानी है तो विकल्प में भी पीपा पुल ही है. पेट को भरने के लिए दियारा के लोगों को कुछ करना है तो मौत बांटने वाले इस पीपा पुल और पानापुर के इस घाट से उन्हें गुजरना ही होगा.
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5 लाख की आबादी की लाइफ लाइन
दानापुर का यह पीपा पुल 5 लाख लोगों के जीवन की लाइफ लाइन है. रोज लाखों लोग रोजी रोटी कमाने को लेकर यहां से गुजरते हैं. दानापुर प्रखंड के अंतर्गत पड़ने वाले 6 पंचायतें जिनमें पानापुर, मानस कासिमचक, गंगहारा, हेतनपुर और पतलापुर पंचायत है. जबकि पटना सदर में नकटा दियारा और दिघवारा सोनपुर के अकिलपुर, रसूलपुर ,कस्मर और हसिलपुर पंचायतें हैं. दानापुर की इस पीपा पुल से इन पंचायतों की पूरी जिंदगी चलती है. लेकिन जिंदगानी जिस रफ्तार से गई और शुक्रवार को जिस तरीके से 9 जिंदगी गंगाके बीच धारा में विलीन हुई उसने सरकार के तमाम इंतजामों पर एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है.
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1995 में छठ के दिन डूबी थी नाव
1995 में इसी पानापुर घाट पर एक नाव डूबी थी जिसमें दो दर्जन से ज्यादा लोगों की जान गई थी. लालू यादव ने उस समय इस मुद्दे को काफी जोर-शोर से उठाया था. उसके बाद यहां पीपा पुल दिया गया था. हालांकि 2006 में जब रघुवंश प्रसाद सिंह केंद्र सरकार में मंत्री थे तो उन्होंने कहा था कि पीपा पुल की जगह पक्का पुल बनवाएंगे इसके लिए बात भी कर रहे हैं. उस समय के केंद्र सरकार में जल संसाधन राज्य मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव थे, उन्होंने इस जगह का सर्वे भी किया, चक्कर भी लगाया, लोगों को भरोसा भी दिया, लेकिन ढाक के तीन पात जैसी स्थिति ही रह गई.
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एक साल पहले पुलिस वालों ने मारी थी गोली
दियारा के क्षेत्र में अपराध नियंत्रण को लेकर के अकिलपुर थाना बनाया गया. 2020 में कोरोना के समय एक आलू व्यवसायी ट्रैक्टर से आलू लेकर जा रहा था. जिसमें पुलिसिया वसूली का मामला भी आया था. पुलिस वालों ने उस व्यापारी को गोली मार दी थी. हालांकि तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए उन पुलिस अधिकारियों को पहले निलंबित किया. फिर उन पर 302 का मुकदमा दर्ज हुआ. अभी वह जेल में है लेकिन यह कहानी भी दियारा के लिए एक दर्द ही दे गया.
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लालू का राजनैतिक बल रहा है दानापुर दियारा
दानापुर की 6 पंचायतें पुरानी पानापुर, मानस, कासिमचक, गंगाहारा, हेतनपुर, पतलापुर के अलावा नकटा दियारा, दिघवारा, अकिलपुर, रसूलपुर, कस्माल, हासिलपुर इन पंचायतों में 5 लाख से ज्यादा की आबादी है. यादव बाहुल्य क्षेत्र होने के नाते लालू यादव की यहां तूती बोलती है. नकटा दियारा लालू यादव का दूसरा घर कहा जाता है. कभी राबड़ी देवी इस क्षेत्र से विधायक भी होती थी और यहां का नाम भी काफी ज्यादा था.
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'जाति' की सियासत में फंसा दियारा
वैसे दियारा की एक बड़ी आबादी अभी भी तेजस्वी यादव को वोट देकर अपना विधायक चुनी है. लेकिन यहां की सियासत 'जाति' की ही बनकर रह गई. विकास यहां तक नहीं पहुंचा. लालू यादव गांधी मैदान या पटना में जब भी रैली, रैला, महा रैला, लाठी रैली, लाठी तेल पिया वन रैली करते थे सभी में दियारा के लोग भर-भर कर जाते थे. पूरा गांधी मैदान ही भर देते थे. लेकिन जब भी विकास से दियारा की झोली भरने की बात आई लालू के हाथ तंग हुए. आज की सरकार भी विकास के मामले में हाथ खाली किए ही बैठी है.
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