पटना:बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद और आईआईटी दिल्ली के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है. आईआईटी दिल्ली की तकनीकी मदद से राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद बिहार में वायु गुणवत्ता प्रबंधन पर काम करेगा. राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के जनसंपर्क अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि इस समझौते के तहत बिहार में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए जीआईएस आधारित सूचना प्रणाली स्थापित करने में आईआईटी दिल्ली मदद करेगा. साथ ही वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए इनहाउस क्षमता विकसित करने के लिए ट्रेनिंग भी देगा.
बिहार में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए की गई पहल, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और IIT दिल्ली के बीच हुआ समझौता
बिहार के कुछ शहरों में वायु गुणवत्ता को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं. जिसको लेकर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद और आईआईटी दिल्ली के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है.
वायु गुणवत्ता को लेकर समझौता
प्रदूषण नियंत्रण पर्षद और आईआईटी दिल्ली के बीच एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के लिए बीआईएस आधारित इंफॉर्मेशन सिस्टम लगाने के लिए समझौता किया गया है. जिसकी अवधि 1 साल की होगी. इस समझौते के तहत जो प्रमुख बातें हैं वह इस प्रकार हैं. राज्य पर्षद इस पर काम करने के लिए वैज्ञानिकों की पहचान करेगा और शुरू में उन्हें आईआईटी दिल्ली में 7 से 10 दिनों के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके बाद उन्हें पटना में प्रतिनियुक्त किया जाएगा और उनके कार्यों की देखने के लिए पीआई महीने में एक बार दौरा करेगा. बिहार में जिन जिलों में और गांव में खुले में कृषि अपशिष्ट जलाने का प्रचलन है उनकी पहचान सेटेलाइट डाटा के जरिए की जाएगी और प्रदूषित शहरों में हवा को प्रदूषित करने में उनकी भूमिका की जांच की जाएगी.
प्रदूषण के हॉटस्पॉट्स की पहचान
बिहार के उन प्रमुख शहरों में स्थानीय प्रदूषण के हॉटस्पॉट्स की पहचान की जाएगी. मॉडलिंग और सर्वे की मदद से इन हॉटस्पॉट में प्रदूषण कम करने के लिए रणनीति बनाई जाएगी. प्रदूषित शहरों में साप्ताहिक प्रदूषण के आंकड़ों की जांच की जाएगी ताकि महत्वपूर्ण प्रदूषण की अवधि को समझा जा सके और उसकी पहचान की जा सके. वैज्ञानिकों को वायु गुणवत्ता निगरानी प्रबंधन और गेंस मॉडल के उपयोग के लिए उपकरण और अन्य डाटा के उपयोग पर ट्रेनिंग दी जाएगी. बता दें कि बिहार के कुछ शहरों में वायु गुणवत्ता को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं. विशेष रूप से पटना, गया और मुजफ्फरपुर में वायु प्रदूषण का स्तर हमेशा गंभीर चिंता का विषय रहा है.