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भारत और नेपाल के अधिकारियों की बैठक, बाढ़ से कारगर तरीके से निपटने के लिए बनी सहमति - India and Nepal meeting

बिहार में बाढ़ (Flood in Bihar) से हर साल भयावह मंजर देखने को मिलता है. नेपाल से निकलने वाली नदियों के कारण बिहार के कई हिस्सों में बाढ़ आ जाती है. ऐसे में बाढ़ से कम से कम नुकसान हो, इसको लेकर पटना में भारत नेपाल कोशी एवं गंडक परियोजना संयुक्त समिति की दो दिवसीय बैठक संपन्न हुई. पढ़ें पूरी खबर..

कोसी एवं गंडक परियोजना संयुक्त समिति की बैठक
कोसी एवं गंडक परियोजना संयुक्त समिति की बैठक

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Published : Apr 14, 2022, 4:45 PM IST

पटना:बिहार में बाढ़ की समस्या से कारगर तरीके से निपटने के लिए भारत और नेपाल एक दूसरे का सहयोग (India and Nepal cooperate in flood protection) कर रहे हैं. इसको लेकर पटना में दोनों देश के बीच दो दिवसीय बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में कोसी और गंडक परियोजनाओं से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर दोनों देशों के बीच विचार-विमर्श किया गया.

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दोनों देश बढ़ाएंगे सहयोग:नेपाल से आने वाली नदियों से बाढ़ की सर्वाधिक तबाही बिहार में होती है, ऐसे में इस बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व बिहार जल संसाधन विभाग (Bihar Water Resource Department) के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने किया. वहीं नेपाली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जल संसाधन एवं सिचाई विभाग के डायरेक्टर जनरल सुशील चंद्र आचार्य ने किया. बिहार जल संसाधन विभाग के सचिव ने बताया कि बैठक में कोसी और गंडक परियोजनाओं से संबंधित सभी मुद्दों की विस्तृत समीक्षा की गई है. दोनों देश बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए आपस में सहयोग बढ़ाएंगे. इसको लेकर दोनों देशों के बीच सहमति बनी है.

कई मुद्दों पर सकारात्मक चर्चा:उन्होंने बताया कि बैठक में कोसी और गंडक प्रोजेक्ट के संचालन और संपोषण से जुड़े मुद्दे, प्रोजेक्ट क्षेत्र की सुरक्षा, बाढ़ से बचाव और नहर के संचालन में आने वाली कठिनाइयों से संबंधित मुद्दे पर भी चर्चा की गई. इसके अलावा सभी तरह के आकस्मिक विपक्षियों मुद्दों के निराकरण के लिए त्वरित समन्वय करने पर जोर दिया गया है. उन्होंने कहा कि बैठक का नतीजा काफी सकारात्मक रहा है. जिसका फायदा दोनों देशों को बाढ़ से कारगर तरीके से निपटने में मिलेगा.

बिहार के उत्तर पूर्वी भाग में बाढ़:बता दें कि कोसी परियोजना के तहत कोसी नदी नेपाल से निकलकर भारत में सुपौल जिले से प्रवेश करती है और बिहार के कटिहार जिले में गंगा में मिल जाती है. कोसी की वजह से प्रदेश के उत्तर पूर्वी भाग में हर साल बाढ़ की भारी तबाही आती है. ऐसे में कोसी नदी पर नेपाल भूभाग में भीम नगर में कोसी बराज निर्मित है और यह एक बहुउद्देशीय योजना है. जिसके जरिए सिंचाई और बाढ़ प्रबंधन होता है. कोसी बराज की लंबाई 1149 मीटर है और इसमें कुल 56 बराज गेट हैं. कोसी बराज से दो नहर पूर्वी कोसी नहर और पश्चिमी कोसी नहर निकलती है. जिससे बिहार के कई जिलों में सिंचाई की सुविधा प्रदान की जाती है.

बिहार के उत्तर पश्चिम भाग में बाढ़:वहीं गंडक परियोजना की बात करें तो गंडक नदी नेपाल से निकलकर बिहार से गुजरते हुए सारण जिले के सोनपुर में गंगा नदी से मिल जाती है. गंडक नदी बेसिन का कुल केचमेंट एरिया लगभग 40553 स्क्वायर किलोमीटर है. जिसमें 4188 स्क्वायर किलोमीटर बिहार में, 895 स्क्वायर किलोमीटर उत्तर प्रदेश में और 35470 स्क्वायर किलोमीटर नेपाल में आता है. अत्यधिक केचमेंट एरिया नेपाल में है, ऐसे में नेपाल में अत्यधिक बारिश होने के कारण बिहार के उत्तर पश्चिम भाग में हर साल बाढ़ आती है. बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए बाल्मीकि नगर में गंडक बराज का निर्माण हुआ है. जिसकी कुल लंबाई 739 मीटर है. इस बराज का आधा हिस्सा नेपाल क्षेत्र में है और इस बराज में कुल 52 गेट हैं.

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