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World Population Day: आखिर कहां रुकेंगे हम, प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ा जनसंख्या का बोझ - population control law

11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) है और बिहार समेत पूरा देश बढ़ती आबादी (Growing Population) से परेशान है. ना सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश में आबादी बेहिसाब बढ़ रही है और उसके साथ ही प्राकृतिक संसाधनों पर बोझ भी बढ़ रहा है. देखिए रिपोर्ट

पटना
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Published : Jul 10, 2021, 10:28 PM IST

पटना:सरकार चाहे लाख दावे करे, सच्चाई यही है कि बहुत जल्द भारत जनसंख्या (Population) के मामले में चीन को पछाड़कर विश्व में नंबर वन देश बन जाएगा. फिर भी विडंबना यह है कि जनसंख्या को किसी भी राजनीतिक दल (Political Party) ने आज तक बड़ा मुद्दा नहीं बनाया.

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11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) है. देश में बेहिसाब बढ़ रही आबादी का प्रभाव हम हर दिन महसूस कर रहे हैं. चाहे बात सब को मिलने वाले अनाज की हो या पीने के पानी की, चाहे बात सबको रहने के लिए घर की हो या सबके लिए रोजगार की, हर ओर जगह कम पड़ रही है.

डॉ. संजय कुमार, आर्थिक सामाजिक विश्लेषक

बिहार की बात करें तो वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार की कुल आबादी 10 करोड़ 40 लाख 99 हजार 452 है, जो 2021 में बढ़कर करीब 13 करोड़ तक पहुंच चुका है. बिहार का जनसंख्या घनत्व 1106 है, यानी प्रति वर्ग किलोमीटर 1106 लोग बिहार में रहते हैं. देश में जनसंख्या के मामले में बिहार का यूपी और मध्य प्रदेश के बाद तीसरा स्थान है.

जनसंख्या के मामले में देश की बात करें तो भारत चीन से जनसंख्या के मामले में अब कुछ ही पीछे है. एक अनुमान के मुताबिक अगले 10 साल में भारत चीन को पछाड़ देगा. लेकिन, संसाधनों के मामले में भारत चीन से बहुत पीछे है, जिसकी वजह से बढ़ती जनसंख्या का बोझ देश के प्राकृतिक संसाधन नहीं उठा पा रहे हैं. ना तो लोगों को रहने के लिए पर्याप्त घर है, ना पर्याप्त पीने का पानी और ना ही पर्याप्त अनाज लोगों को मिल रहा है.

''भारत की जनसंख्या 138 करोड़ को पार कर चुकी है, जो पूरी दुनिया की जनसंख्या का करीब 18 फीसदी है. जबकि, दुनिया की कुल भूमि का महज 2.4% जमीन ही भारत में है. सिर्फ 4% पीने का पानी उपलब्ध है और 2.4% वन क्षेत्र ही भारत में उपलब्ध है.''- डॉ. संजय कुमार, आर्थिक सामाजिक विश्लेषक

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डॉ. संजय कुमार ने कहा कि देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून तो बना, लेकिन 1975 के बाद लगभग सभी राजनीतिक दलों ने जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे से ही एक तरह से किनारा कर लिया. किसी भी राजनीतिक दल ने इस मुद्दे को चुनाव में बड़ा मुद्दा नहीं बनाया. हालांकि, हाल के वर्षों में इस पर चर्चा शुरू हुई है. लेकिन, जरूरत इस बात की है कि समय रहते देश में जनसंख्या नियंत्रण को कड़ाई से लागू किया जाए. ताकि, सीमित प्राकृतिक संसाधनों पर अनावश्यक दबाव ना बढ़े.

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