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बिहार में वज्रपात से मरने वालों की संख्या बढ़ी, 17 से बढ़कर 23 पहुंचा आंकड़ा - बिहार में वज्रपात

आपदा प्रबंधन मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों में ठनका गिरने की घटना काफी बढ़ गई है. जिसके कारण हर साल मरने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है. सरकार का मानना है कि जलवायु में हो रहे परिवर्तन के कारण इस तरह की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है.

ठनका से मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी

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Published : Sep 19, 2019, 5:39 PM IST

पटना: राज्य में 17 और 18 सितंबर को तेज बारिश और वज्रपात हुई थी. इसके कारण हुई मौतों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो गई है. अब तक यह आंकड़ा 17 था, जो बढ़कर 23 हो गया है. वहीं, ठनका गिरने से 5 लोग घायल हो गए हैं.

24 घंटे के अंदर मृतक के परिजनों को मुआवजा
आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने बताया कि अब तक विभागीय जानकारी के अनुसार वज्रपात से राज्य में कुल 23 लोगों की मौत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि सभी जिलों के डीएम को 24 घंटे के अंदर मृतक के परिजनों को 4 लाख मुआवजा देने का निर्देश दिया गया है.

ठनका गिरने से अब तक पूर्वी चंपारण, भोजपुर, सिवान, अरवल, पटना और जहानाबाद में दो-दो लोगों की मौत हुई है. वहीं, गया, कैमूर और नवादा में 3-3 लोग, जबकि कटिहार और अररिया में 1-1 की मौत हुई है.

ठनका से मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी

वन क्षेत्र बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित
आपदा प्रबंधन मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों में ठनका गिरने की घटना काफी बढ़ गई है. जिसके कारण हर साल मरने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है. सरकार का मानना है कि जलवायु में हो रहे परिवर्तन के कारण इस तरह की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है. मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य में वन क्षेत्र बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

क्या है वज्रपात
वज्रपात एक विद्युत प्रवाह है. बादलों के ऊपर तापमान कम होने से जल वाष्प बर्फ में बदल जाता है. बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े जब टकराते हैं, तो विद्युत आवेश का निर्माण होता है. जिससे सकारात्मक और नकारात्मक चार्ज बनता है. इनके बड़े होने पर बिजली उत्पन्न होती है. यह सूरज की सतह से छह गुना ज्यादा गर्म होती है.

वज्रपात से मौत के कारण
⦁ जलवायु परिवर्तन ठनका गिरने में बढ़ोत्तरी का मुख्य कारण है.
⦁ 71 प्रतिशत मौत पेड़ के नीचे खड़े रहने और 29 प्रतिशत खुले में रहने से होती है.
⦁ इससे बचने के लिए सावधानियों के प्रति जागरुकता न होना.
⦁ आपदा प्रबंधन इकाई की गतिविधियां जमीनी स्तर तक नहीं पहुंचना
बचने के उपाय
⦁ खुले मैदान, पेड़ या बिजली के खंभों के पास जाने से बचना चाहिए.
⦁ दलदल और जल निकायों से दूर रहना चाहिए.
⦁ इस दौरान मोबाइल और छाते का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
⦁ अपने हाथों को अपने घुटनों पर और अपने सिर को अपने घुटनों के बीच रखना चाहिए. इससे शरीर को कम से कम नुकसान होता है.
सरकार की तरफ से उठाए गए कदम
⦁ आपदा प्रबंधन विभाग राज्य भर में 45 लाइटनिंग डिटेक्शन सेंसर लगाने की तैयारी कर रहा है. ये आंधी और बिजली के बारे में लोगों को चेतावनी देगा
⦁ ठनका गिरने की सटीक जानकारी के लिए सीयूएसबी गया में लाइटनिंग लोकेशन नेटवर्क स्थापित किया जाएगा. इससे दो सौ किलोमीटर के दायरे में बिजली की प्रारंभिक चेतावनी 20 से 30 मिनट पहले जारी की जाएगी
⦁ राज्य सरकार ने पीड़ित परिवारों को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की.

क्या कहते हैं आंकड़े:
⦁ बिहार में 1 जून से 1 जुलाई तक में 92 मौतें हुई.
⦁ इस साल 26 जून को, पूरे देश में आकाशीय बिजली की 80,048 घटनाएं हुई, जिसमें 7030 बिहार में दर्ज की गईं.
⦁ 27 जुलाई 2019 को नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में बिजली गिरने से 172 लोग मारे गए.
⦁ 2010 से 2018 तक देश में बिजली गिरने से 22,027 लोगों की मौत हुई. हर साल औसतन 2447 लोग बिजली गिरने से अपनी जान गंवा रहे हैं.

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