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'JP क्रांति की तरह देश में एक और जन आंदोलन की है जरूरत' - lok nayak Jayaprakash Narayan

आज वो ऐतिहासिक दिन है, जब बिहार में जन्में जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा देकर आंदोलन छेड़ दिया. इसके बाद जो हुआ वो किसी से छिपा नहीं है.

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Published : Jun 5, 2019, 6:27 PM IST

Updated : Jun 5, 2019, 10:19 PM IST

पटना: आज यानी 5 जून को ही बिहार के सपूत जयप्रकाश नारायण ने व्यवस्था परिवर्तन के लिए संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था. आंदोलन अपने शबाब पर था, तभी जेपी को गिरफ्तार कर लिया गया. इसका परिणाम यह हुआ कि जैसा सोचा गया था, वैसी परिणति सामने नहीं आ पाई. ऐसें देश को अब जेपी आंदोलन पार्ट-2 की जरूरत है, जो उनके द्वारा की गई कल्पना की विचारधारा को धरातल पर ला सके.

बिहार के सिताब दियारा में जन्मे जयप्रकाश नारायण ऐसे शख्स के रूप में उभरे, जिन्होंने पूरे देश में आंदोलन की लौ जलाई. जेपी के विचार दर्शन और व्यक्तित्व ने पूरे जनमानस को प्रभावित किया. लोकनायक शब्द को जेपी ने चरितार्थ भी किया और आज ही के दिन संपूर्ण क्रांति का नारा दिया. 5 जून 1974 को विशाल सभा में पहली बार जेपी ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था.

विनोवा भावे के साथ जेपी.

संपूर्ण क्रांति की चिंगारी
संपूर्ण क्रांति की चिंगारी पूरे बिहार से फेल कर देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी और जनमानस जेपी के पीछे चलने को मजबूर हो गये. अपने भाषण में जयप्रकाश नारायण ने कहा- भ्रष्टाचार मिटाए, बेरोजगारी दूर किए, शिक्षा में क्रांति लाए बगैर व्यवस्था परिवर्तित नहीं की जा सकती.

खास रिपोर्ट

इंदिरा गांधी से मांग लिया इस्तीफा
जब जेपी ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया, उस समय इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थी. जयप्रकाश की निगाह में इंदिरा गांधी की सरकार भ्रष्ट होती जा रही थी. 1975 में निचली अदालत में इंदिरा गांधी पर चुनाव में भ्रष्टाचार का आरोप साबित हो गया. जयप्रकाश ने उनके इस्तीफे की मांग कर दी. जेपी का कहना था इंदिरा सरकार को गिरना ही होगा. आनन-फानन में इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर दी. उन दिनों राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था- 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है'

अपनी पत्नी के साथ जेपी

आया बदलाव
जनवरी 1977 आपातकाल काल हटा लिया गया और लोकनायक के संपूर्ण क्रांति आंदोलन के चलते पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी. आंदोलन का प्रभाव न केवल देश में, बल्कि दुनिया के तमाम छोटे-बड़े देशों पर पड़ा. सन 1977 में ऐसा माहौल था, जब जनता आगे थी और नेता पीछे थे. ये जेपी का ही करिश्माई नेतृत्व का प्रभाव था.

आंदोलन फिर से
अवकाश प्राप्त आईएएस और समाजवादी विजय प्रकाश ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि जयप्रकाश नारायण आंदोलन के जरिए बहुत कुछ हासिल करना चाहते थे लेकिन उनके जेल जाने के बाद आंदोलन भटक गया. उनके बाद किसी ने आंदोलन को आगे बढ़ाने की कोशिश नहीं की. विजय प्रकाश ने कहा कि देश के अंदर फिर एक बड़े जन आंदोलन की जरूरत है, जो जेपी द्वारा स्थापित मूल्यों को लागू कर सके.

Last Updated : Jun 5, 2019, 10:19 PM IST

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