पटना : लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा नहाए खाए से शुरू होता है. इस वर्ष 17 नवंबर से छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो चुका है. 19 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न होगी. आज इस जमाने में छठ पर्व को बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ आज पूरे देश और विदेशों में भी मनाया जा रहा है.
फलों का छठ पूजा में विशेष महत्व : चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व में कई तरह के प्रसाद बनाये जाते हैं. छठ महापर्व में फलों का भी विशेष महत्व है. पटना के आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि छठ महापर्व में जिस तरह से छठ व्रती ठेकुआ बनाती हैं, ठीक उसी प्रकार फलों का विशेष महत्व है. अर्घ्य देने के लिए में दउरा सजाया जाता है, जिसमें फल-फूल, अक्षत, पान पत्ता, अदरा पात, सुपारी से सजाया जाता है. साथ ही कई ऐसी चीजें होती हैं जिन्हें रखना बहुत जरूरी होता है.
इन फलों के बिना अर्घ्य अधूरा : कुछ फल ऐसे हैं जिसके बिना अरघ देना अधूरा माना जाता है. मनोज मिश्रा ने बताया की केला, सुथनी, आदि, हल्दी, गागर नींबू, ईख, नारियल, पानी सिंघाड़ा, छठ का प्रमुख प्रसाद है. उन्होंने कहा कि जिस भक्त का जैसा समर्थ है, वह ऋतु अनुसार दौरा में और भी फल रख सकते हैं.
गागर नींबू : गागर नींबू सामान्य नींबू से बड़ा होता है. इसका आकार बहुत बड़ा होता है. जिस वजह से इसे पशु-पक्षी नहीं खा पाते हैं. लेकिन ये नींबू छठी मईया को विशेष रूप से पंसद है. उन्हें प्रसन्न करने के लिए सूप में रखा जाता है.
ईख : छठी मईया को ईख बहुत प्रिय है. कई लोग ईख को चारों तरफ से छाकर, उसमें पूजा करते हैं. और दौर में गन्ने को काट कर रखा जाता है. मान्यता है कि छठी मईया घर में सुख–समृद्धि लाती हैं. मान्यता पूरा होने पर ईख से आंगन सजाया जाता है. बीच में कोसिया भराई कर विशेष पूजा की जाती है.