पटना: बिहार, झारखंड, यूपी समेत उत्तर भारत में छठ महापर्व धूमधाम से मनाया जाता है. चार दिवसीय छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. दिवाली के बाद छठ पूजा, हिंदूओं का छठ सबसे बड़े त्योहार है. इस व्रत को छठ पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है.
लोकआस्था के महापर्व छठ की पूजा 36 घंटे के निर्जला व्रत के साथ शुरू होती है. इस बार छठ पूजा 18 नवंबर से नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. नहाय-खाय के अगले दिन 19 नवंबर को खरना, 20 नवंबर को सूर्य देव को संध्या अर्घ्य, फिर 21 नवंबर को सुबह के समय उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस पर्व की समाप्ति होती है.
स्वच्छता का पर्व छठ
छठ महापर्व पूरे विधि विधान से मनाया जाता है. छठी माई को प्रसन्न करने के लिए ठेकुआ, पुआ और मीठे पकवान को बेहद ही स्वच्छता के साथ बनाया जाता है. बिहार में इसकी तैयारी दिवाली के त्योहार के साथ ही हो जाती है. आस्था के अनुसार छठ महापर्व में फल खास महत्व रखते हैं. घाट पर ले जाने वाले डाले को इन्हीं फलों से सजाया जाता है, जिनका भोग व्रतियां छठ मईया को लगाती हैं. यही फल प्रसाद स्वरूप सभी को बांटे जाते हैं. छठ महापर्व में कौन-कौन से फल चढ़ाने चाहिए और इनका महत्व क्या है. आइए पढ़ते हैं...
01.नारियल
नारियल को मां लक्ष्मी स्वरूप और बड़ा ही पवित्र फल माना जाता है. इसके पीछे का कारण ये है कि इसे कोई भी जीव जूठा नहीं कर सकता. वहीं, मनोकामना पूर्ति के लिए नारियल चढ़ाने का विधान है.
02. गन्ना
छठ पूजा में गन्ना अपना विशेष महत्व रखता है. महापर्व के दौरान शाम के समय घर के आंगन में गन्ने का घर बनाया कर उसके नीचे हाथी रखा जाता है. फिर छठी माई की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि छठी मईया का प्रिय फल गन्ना है. यही वजह है कि गन्ने से बने गुड़ से प्रसाद भी बनाया जाता है. मान्यता है कि गन्ना चढ़ाने से छठी मईया आनंद और समृद्धि प्रदान करती हैं.