पटना:राजधानी पटना में नवरात्र की समाप्ति होते ही विजयादशमी (Vijayadashami Festival) के दिन मां दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन (Maa Durga Idol Immersion) शुरू हो गया है. विभिन्न पूजा पंडाल समिति द्वारा सरकार के दिशा निर्देश के अनुरूप निर्धारित मानकों को ध्यान में रखते हुए मूर्तियों का विसर्जन किया जा रहा है. मूर्ति विसर्जन के लिए गंगा (Ganga River) के घाटों पर कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं. इसके साथ ही बैरिकेडिंग और सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं.
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मूर्तियों के निर्माण में विभिन्न प्रकार के केमिकल और प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है. ऐसे में इन मूर्तियों का विसर्जन गंगा नदी में सीधे कोई ना करे इसको लेकर जिला प्रशासन ने खास तैयारी की है. जिला प्रशासन ने सख्त निर्देश दिया है कि गंगा नदी में मूर्तियों का विसर्जन नहीं होगा. नदी किनारे विभिन्न घाटों पर अस्थायी कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं, जहां मूर्तियों का विसर्जन किया जा रहा है.
पटना के दीघा घाट, जनार्दन घाट, लॉ कॉलेज घाट, भद्र घाट, खाजेकला घाट और अन्य घाटों पर मूर्तियों के विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं. इसके साथ ही इन घाटों पर जिला प्रशासन और नगर निगम के सहयोग से कंट्रोल रूम की तैनाती की गई है. प्रत्येक कंट्रोल रूम में दो मजिस्ट्रेट, सिविल डिफेंस के 8 सदस्य और इसके अलावा पर्याप्त संख्या में महिला और पुरुष पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है.
विभिन्न घाटों पर जितने भी कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं उनमें मूर्तियों के विसर्जन के लिए नगर निगम के सफाई कर्मियों की तैनाती की गई है. नगर निगम के कर्मी श्रद्धालुओं से मूर्ति लेकर कृत्रिम तालाब के बीच में ले जाकर डुबो रहे हैं. मूर्तियों के विसर्जन के बाद मूर्ति में लगे साज-सज्जा के सामान को निकालकर कर्मी अलग रख रहे हैं. इसके अलावा मूर्ति में इस्तेमाल किए गए बांस और बल्ले को अलग रखा जा रहा है इसके अलावा विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक को अलग रखा जा रहा है. पटना के जनार्दन घाट पर ऐसा ही दृश्य नजर आया. मूर्ति विसर्जन करने आए श्रद्धालुओं ने जिला प्रशासन के इस पहल को खूब सराहा.
एग्जीबिशन रोड इलाके से मूर्ति विसर्जन करने पहुंची कविता परवाना ने कहा, 'जिला प्रशासन की यह बेहतरीन पहल है. हमारी सोसाइटी के लोग मिलकर सोसाइटी में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करते हैं और बंगाली विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं. मूर्ति विसर्जन के दौरान काफी संख्या में महिलाएं भी आती हैं. जिला प्रशासन द्वारा कृत्रिम तालाब बनाकर मूर्तियों के विसर्जन की व्यवस्था की गई है. यह काफी सराहनीय है. मां दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जित करने से पहले पूजा अर्चना और आरती की गई. इसके साथ ही क्षमा याचना की गई कि जो भी पूजा पाठ में भूल चूक हो गई है उसे मां दुर्गा माफ करें.'
छज्जूबाग के अखंड वासिनी मंदिर से मां दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी रूप की प्रतिमा को विसर्जित करने पहुंचे मंदिर के पुजारी विशाल तिवारी ने कहा, 'इस बार नवरात्र काफी धूमधाम से मना. लोगों में काफी उत्साह भी नजर आया. पिछले साल कोरोना के कारण दुर्गा पूजा का शहर में आयोजन नहीं हो पाया. ऐसे में इस बार जब हुआ है तो श्रद्धालुओं में काफी उत्साह दिखा और लोगों की भीड़ भी काफी रही.'
"9 दिन के आयोजन के बाद जब मूर्ति विसर्जन का समय आया है तो गंगा नदी किनारे कृत्रिम तालाब बनाकर जिला प्रशासन ने जो पहल की है वह अत्यंत सराहनीय है. जिला प्रशासन के इस पहल से गंगा नदी प्रदूषित नहीं होगी. गंगा को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है."- विशाल तिवारी, पुजारी, अखंड वासिनी मंदिर, छज्जूबाग
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