राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर का बयान पटना : बिहार की राजधानी पटना में शिक्षक दिवस के मौके पर पटना विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने नीतीश कुमार को सीधे-सीधे विश्वविद्यालयों के बारे में हस्तक्षेप नहीं करने की बात कही. उन्होंने कहा कि अगर आप विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति को नीचे रखेंगे तो कुलाधपति आपके आग्रह पर विचार नहीं करेंगे.
ये भी पढ़ें :Bihar Politics: 'देश का PM कैसा हो.. नीतीश कुमार जैसा हो', बिहार CM के सामने फिर लगे नारे
" मुख्यमंत्री के आह्वान पर हमलोग सोच भी सकते हैं और कर भी सकते हैं. लेकिन मुख्यमंत्री अगर विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति को नीचे रखेंगे, तो कुलाधिपति इस पर विचार नहीं करेंगे. कुलाधिपति की क्या हैसियत है इस पर शिक्षा विभाग को पुनर्विचार करने की जरूरत है. क्योंकि आप कुलाधिपति को टोकते रहेंगे और फिर उनसे अपेक्षा भी करेंगे, तो ऐसा नहीं होगा". - राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, राज्यपाल
'एक साथ बैठकर समाधान निकाला जा सकता है': राज्यपाल ने कहा कि मुझे लगता है कि इस दोनों बातों पर विचार करने की आवश्यकता है. यह चिंता करने का विषय नहीं है, यह समन्यवय का विषय है. यह संघर्ष का विषय नहीं है. अखबारों में टकराहट और तनाव की बातें आती रहती है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है. मेरे और मुख्यमंत्री के बीच कोई तनाव, कोई टकराहट नहीं है. हमलोग एक साथ बैठ सकते हैं, विचार कर सकते हैं और इस पूरे विषय पर समाधान निकाल सकते हैं.
'विवि का इतिहास जानकर अच्छा लगा':राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि नीतीश कुमार यहां आए बहुत अच्छा लगा. नीतीश कुमार ने बताया कि कैसे वो पढ़ाई के बाद गंगा किनारे जाकर बैठते थे, ये सुनकर बहुत अच्छा लगा .मुझे तो लगता है कि पढ़ाई के बाद ही नहीं बल्कि बंक मारकर भी जाते होंगे. गंगा किनारे क्लास के बीच में भी घूमने चले जाते होंगे . आज जिस तरीके से नीतीश कुमार ने इस विश्विद्यालय के इतिहास के बारे में बताया कि ये देश का सातवां विश्विद्यालय है, मुझे ऐसा लग रहा की ये मेरा अपना विश्विद्यालय है.
शिक्षकों का सम्मान जरूरी : राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री की बातों को मैं ध्यान में रखूंगा और राज्यपाल ने केंद्रीय विश्विद्यालय बनने का आश्वासन दिया. शिक्षकों के बारे में मैं ज्यादा नहीं कहूंगा, शिक्षक अगर ठीक से पढ़ाएंगे तो शिक्षा का भी स्तर बढ़ेगा. मुझे लगता है कि आज का शिक्षक दिवस मुझे इस पर मंथन करने को मजबूर करता है. हमारे शिक्षक सड़कों पर आते हैं तो क्या इसके बारे में हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है. शिक्षक हमारे आदर्श माने जाते है इसलिए उनका सम्मान होना चाहिए.
'शिक्षकों से हो अच्छा बर्ताव':गवर्नर ने कहा कि ऐसी क्या जरूरत पड़ती है कि हमारे शिक्षक सड़क पर आते है इसपर हमें गहरी चिंतन करनी होगी. हमारे पास कई शिक्षक आते है कि हमारे साथ ऐसा बर्ताव किया जा रहा हैं. आखिर क्यों शिक्षकों के साथ ऐसा बर्ताव किया जाता है. इसपर सबको मिलकर काम करना होगा.मैं ज्यादा विषय पर नहीं बोलूंगा, लेकिन शिक्षकों का सम्मान सबसे पहले जरूरी है शिक्षकों की परिस्थिति में सुधार करने की जरूरत है.
'व्हीलर हॉल का नाम रविंद्र नाथ टैगोर करने पर हो विचार': राज्यपाल ने कहा जब यहां ऐसे प्रश्न आते हैं की शिक्षा विभाग के सेक्रेटरी पत्र लिखता है तो उनको ऐसा साहस कैसे मिला? शिक्षा विभाग के सेक्रेटरी को हिम्मत कैसे होती है कि वह पत्र लिखता है, हम सब को शिक्षक को सम्मान देना होगा, इससे ज्यादा जरूरी कुछ नहीं है. वहीं राज्यपाल ने कहा कि इसका नाम व्हीलर सीनेट हॉल रखा गया है, लेकिन इस कोलोनियल नाम को क्या हम बदल सकते हैं? क्योंकि मैं पढ़ रहा था कि रविन्द्र नाथ टैगोर यहां किसी काम से आए थे, क्या हम इसका नाम रविन्द्र नाथ टैगोर दे सकते हैं? हम सबको इसपर विचार करना चाहिए.