पटना: प्रशासनिक सेवा के जरिए सरकारी दायित्व निभाने के अलावा बिहार में आईएएस अधिकारियों के पास इतना वक्त नहीं होता कि वह कोई अन्य काम कर सकें. लेकिन बिहार में एक ऐसे आईएएस अधिकारी भी हैं, जो ना सिर्फ महत्वपूर्ण दायित्व निभा रहे हैं बल्कि युवाओं को मार्गदर्शन देकर उन्हें बेहतर करने की प्रेरणा भी दे रहे हैं.
बिहार में प्राथमिक शिक्षा निदेशक की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे आईएएस अधिकारी डॉ. रणजीत कुमार सिंह बिहार में युवाओं के लिए नए प्रेरणा स्रोत बन कर उभरे हैं. प्राथमिक शिक्षा निदेशक के तौर पर बिहार में प्राथमिक स्कूलों की स्थिति बेहतर करना और स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर करने में लगे डॉ. रणजीत कुमार सिंह बिहार में छठे चरण के प्राथमिक शिक्षक नियोजन को लेकर विशेष रूप से चर्चा में रहे हैं.
आईएएस डॉ. रणजीत सिंह से खास बातचीत नियोजन प्रक्रिया के लिए एक्टिव हैं आईएएस
डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने नियोजन की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए और इसमें आ रही तमाम दिक्कतों को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किया. लगातार इनके पास शिकायतें पहुंचती रही और उन्हें भी दूर करते रहे. यही वजह है कि बिहार के हजारों शिक्षक अभ्यर्थी भी डॉक्टर रणजीतत कुमार सिंह से सीधे जुड़े हुए हैं.
आईएएस डॉ. रणजीत कुमार सिंह हाल ही में इन्होंने अपना एक यूट्यूब चैनल प्रारंभ किया, जिसके जरिए वे यूपीएससी-बीपीएससी या अन्य परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं को बेहतर करने की सलाह देते हैं. यूट्यूब चैनल प्रारंभ करते ही, बहुत जल्द हजारों की संख्या में उनके चैनल के सब्सक्राइबर हो गए. फेसबुक पेज के जरिए भी वे लगातार अपने युवा साथियों से जुड़ते हैं और उन्हें उनकी समस्याओं को दूर करते हुए सलाह देते हैं.
न्यू एजुकेशन पॉलिसी पर भी बताई अपनी राय - डॉ. रणजीत कहते हैं,'लॉकडाउन के दौरान मुझे लगा कि पढ़ाई को लेकर छात्र ज्यादा पैनिक हो जाएंगे. वे तनाव में आ सकते हैं इसलिए उनकी पढ़ाई को जारी रखने के लिए मैंने ऑनलाइन क्लास शुरू की.'
सीएम नीतीश कुमार से ली इजाजत
डॉ. रंजीत कुमार सिंह ने ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि इस बात के लिए उन्हें खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इजाजत दी है कि वे छात्रों के साथ सीधा संवाद स्थापित कर सकें. इससे ना सिर्फ युवाओं के दिमाग में जो कंफ्यूजन है, उसे दूर करने में आसानी होती है बल्कि सीधा संवाद करने से जिस जिम्मेदारी को भी निभा रहे हैं. उससे जुड़ी समस्याएं भी काफी हद तक दूर हो जाती हैं.
ऑनलाइन क्लास के जरिए देते हैं सभी सवालों का जवाब छुट्टी होते ही लगाते हैं पाठशाला
हमने उनसे यह भी सवाल किया कि महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाते हुए आखिर में कैसे युवाओं के लिए समय निकालते हैं, तो उन्होंने बताया शनिवार और रविवार को जब दफ्तर की छुट्टी होती है, तब वो इसके लिए समय निकालते हैं क्योंकि वे खुद एक आईएएस अधिकारी हैं, तो अपना ज्ञान अन्य युवाओं में शेयर करने में आसानी होती है. साथ ही उन्होंने जनरल स्टडीज के लिए पुस्तक भी लिखी है जो यूपीएससी/पीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षा में काफी लाभदायी है.
युवा उनसे कितने ज्यादा सवाल करते हैं और किस तरह वे युवाओं के सवाल के जवाब देते हैं. इसका पूरा विवरण यूट्यूब से मिल जाता है, जहां बड़ी संख्या में उनके हर लाइव चैट के दौरान यूपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थी जुड़ते हैं और अपने सवाल करते हैं.
कई खिताब कर चुके अपने नाम
डॉ. रणजीत कुमार सिंह बिहार के वैशाली जिले के रहने वाले हैं. वे गुजरात कैडर के वर्ष 2008 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं, जिनमें प्रमुख तौर पर राष्ट्रीय स्वच्छता पुरस्कार 2016, महात्मा गांधी स्वच्छता पुरस्कार 2017 और राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वे अवार्ड 2018 प्रमुख है. प्राथमिक शिक्षा निदेशक के अलावा उनके पास बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक कारपोरेशन लिमिटेड के एमडी का भी प्रभार है.