पटना: राजधानी में एक महिला को उसके पति ने सिर्फ इसलिए तीन तलाक दे दिया क्योंकि उसने मॉडर्न बनने और शराब पीने से इनकार कर दिया था. पीड़िता नूरी फातमा ने राज्य महिला आयोग से शिकायत की है, जिसके बाद महिला के पति को नोटिस भेजा गया है.
पीड़िता ने बताया कि 2015 में उसकी शादी इमरान मुस्तफा से हुई थी, जिसके कुछ दिनों बाद वह दिल्ली शिफ्ट हो गए. पीड़िता ने कहा कि 'कुछ महीने बाद मेरे पति ने मुझसे शहर की मॉडर्न लड़कियों की तरह बनने को कहा, वह चाहता था कि मैं छोटे कपड़े पहनूं और नाइट पार्टीज में जाऊं और शराब पीऊं. लेकिन, जब मैंने ऐसा करने से मना कर दिया तो वह रोज मुझे पीटता था.'
दिलमणि मिश्रा, बिहार राज्य महिला आयोग की चेयरमैन पीड़िता ने राज्य महिला आयोग से की शिकायत
पीड़िता ने आरोप लगाते हुए कहा कि 'कई सालों तक मुझे प्रताड़ित करने के बाद, कुछ दिन पहले उसने मुझे घर छोड़ने के लिए कहा और जब मैंने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो उसने मुझे तीन तलाक दे दिया.' यह सब होने के बाद अब पीड़िता ने राज्य महिला आयोग से शिकायत की है, जिसके बाद उसके पति इमरान मुस्तफा को नोटिस भेजा गया है.
आयोग ने पति को भेजा नोटिस
बिहार राज्य महिला आयोग की चेयरमैन दिलमणि मिश्रा ने कहा कि 'महिला का पति उसे प्रताड़ित करता था और दो बार उसने उसका गर्भपात भी कराया था. हमने मामले का संज्ञान लिया है. एक सितंबर को महिला के पति ने उसे तीन तलाक दिया था. हमने उसके पति को नोटिस जारी किया है.'
बता दें कि इसी साल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक अगस्त को ट्रिपल तलाक बिल को मंजूरी दे दी थी. जिसके बाद तीन तलाक देना कानूनी रूप से अपराध की श्रेणी में आ गया था. इसके लिए तीन साल की सजा का प्रवधान है.
गैर कानूनी है तीन तलाक (कॉन्सेप्ट इमेज) क्या है तीन तलाक कानून
- कोई पति अगर मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है, तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा.
- तीन तलाक के मामले पर स्वयं पत्नी या उसका करीबी रिश्तेदार ही इस बारे में केस दर्ज करा सकता है.
- पुलिस बिना वारंट के तीन तलाक देने वाले आरोपी पति को गिरफ्तार कर सकती है क्योंकि महिला अधिकार संरक्षण कानून 2019 बिल के मुताबिक एक समय में तीन तलाक देना अपराध है.
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सजा का प्रवधान...
- तीन तलाक के मामले में मजिस्ट्रेट बिना पीड़ित महिला का पक्ष सुने बगैर पति को जमानत नहीं दे पाएंगे.
- पति को तीन साल तक कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है. मजिस्ट्रेट कोर्ट से ही उसे जमानत मिलेगी.
- पीड़ित पत्नी और बच्चे के भरण पोषण का खर्च मजिस्ट्रेट तय करेंगे, जो पति को देना होगा.
- तीन तलाक पर बने कानून में छोटे बच्चों की निगरानी और रखवाली मां के पास रहेगी.
- नए कानून में समझौते के विकल्प को भी रखा गया है.
- इस कानून के तहत पत्नी की पहल पर ही समझौता हो सकता है, लेकिन मजिस्ट्रेट की उचित शर्तों के साथ.