पटनाः 19 जनवरी 2020 को बिहार में नशा मुक्ति, जल जीवन हरियाली, बाल विवाह समाप्ति और दहेज प्रथा के खिलाफ मानव श्रृंखला बनाई जाएगी. शिक्षा विभाग ने इसे लेकर मंगलवार को सभी जिलों के एसपी और डीएम को दिशा-निर्देश जारी किए है. जिसमें सबकी जिम्मेदारी तय की गई है.
19 जनवरी को बनाई जाएगी मानव श्रृंखला
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने सभी जिलों के डीएम और एसपी को पत्र लिखा है. जिसमें यह कहा गया है कि इस बार 19 जनवरी को बिहार के सभी जिलों से संपर्क के साथ 16 हजार 2 सौ किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाई जाएगी. जो जिले के मुख्य मार्ग से दूसरे जिले से जुड़ेंगे और अंत में पटना गांधी मैदान से जुड़ेंगे. जिले के मुख्य मार्ग में भी मानव श्रृंखला बनाई जाएगी. पिछली बार मानव श्रृंखला का निर्माण 21 जनवरी 2018 को किया गया था.
मानव श्रृंखला निर्माण में छात्र-छात्राएं लेंगे भाग
मुख्य सचिव ने कहा कि 19 जनवरी को सुबह 11:30 से 12:00 के बीच मानव श्रृंखला में निर्धारित मार्ग पर लोग आपस में हाथ से हाथ जोड़कर खड़े रहेंगे. इसके लिए जरूरी है कि 10:30 बजे तक सभी प्रतिभागी निर्धारित स्थल पर पहुंच जाएं. सभी जिलों को अपने स्तर पर मानव श्रृंखला का मुख्य मार्ग और उप मार्ग बनाकर उसका मैप शिक्षा निदेशालय को भेजने का निर्देश दिया गया है. जिला स्तर के सभी विभागों के सभी सरकारी और नियोजित कर्मी और गैर सरकारी विद्यालय हाई स्कूल, प्लस टू स्कूल कॉलेज के शिक्षक कर्मी, जीविका दीदी, आशा दीदी, सेविका सहायिका और छात्र-छात्राएं मानव श्रृंखला निर्माण में पूरी भागीदारी करेंगे.
1 से 5 तक के बच्चों को नहीं किया जाएगा शामिल
शिक्षा विभाग के अपर सचिव ने विशेष निर्देश दिया है कि इस मानव श्रृंखला में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को शामिल नहीं किया जाएगा. लेकिन कक्षा 5 से ऊपर के सभी छात्र छात्राएं इस में भाग लेंगे. मानव श्रृंखला का मुख्य विषय जल जीवन हरियाली, नशा मुक्ति, बाल विवाह समाप्ति और दहेज उन्मूलन है.
जल जीवन हरियाली मिशन
पश्चिमी चंपारण से सीएम नीतीश कुमार ने जल जीवन हरियाली मिशन को सफल बनाने के लिए किसानों से आगे आने की अपील की. उन्होंने जनता से अपील किया कि जिस तरह से शराबबंदी को लेकर आम जनता का सहयोग मिला और उन्होंने मानव श्रृंखला बनाकर देश विदेश तक मिसाल कायम किया. वैसे ही हरियाली अभियान के लिए भी आगामी 19 जनवरी को विशाल मानव शृंखला बनाकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संतुलन का संदेश देना है.