पटना:बिहार की 59 जेलों में क्षमता से काफी अधिक कैदी (Prisoners Exceeding Capacity in Jails) बंद हैं. ऐसे में अब जब विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Corona) की आशंका जताई है, कैदियों को सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) के तहत कैसे रखा जा सकता है. पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास (Former IPS Officer Amitabh Das) कहते हैं कि बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की अवहेलना कर रही है. अब तक एक भी कैदी को पैरोल पर नहीं छोड़ा गया है.
ये भी पढ़ें:स्वास्थ्य मंत्री बोले- तीसरी लहर से पहले बड़ी आबादी हो जाएगी वैक्सीनेट
बिहार की 59 जेलो में लगभग 46000 कैदी रखने की क्षमता है, लेकिन मौजूदा वक्त में इन जेलों में लगभग 60000 कैदी बंद हैं. जोकि क्षमता से 14000 अधिक कैदी हैं. कोरोना काल के मद्देनजर जेलों की क्षमता कम करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि पैरोल पर अंडर ट्रायल कैदियों को छोड़ा जाए, उसके बावजूद भी बिहार में अब तक एक भी कैदी को पैरोल पर नहीं छोड़ा गया है.
जेल प्रशासन के मुताबिक करोना के मद्देनजर परिजनों से सीधी मुलाकात पर बंदिश लगाई गई है. इसके अलावे जेल में बंद है 99% कैदियों का कोरोना टीकाकरण हो चुका है. हालांकि जेल प्रशासन के मुताबिक जिनकी सजा लगभग पूरा हो चुकी है, वैसे 100 कैदियों को छोड़ा गया है. इसके अलावे जेल प्रशासन के द्वारा न्यायालय से गुहार कर अंडर ट्रायल कैदियों को बेल देने का आग्रह किया जा रहा है. कोर्ट के द्वारा कुछ कैदियों को बेल भी दी जा रही है. जेल प्रशासन के मुताबिक जेलों में 90% कैदी अंडर ट्रायल हैं. जेलों में सबसे अधिक कैदी शराबबंदी कानून से जुड़े हैं.