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बिहार में वज्रपात का कहर: जानें क्यों होता है और कैसे करें बचाव? - बिहार में वज्रपात का कहर

वज्रपात एक विद्युत प्रवाह है. यह सूरज की सतह से छह गुना ज्यादा गर्म होती है. इससे बिहार में 1 जून से 1 जुलाई तक में 92 मौतें हुई हैं. इस साल 26 जून को, पूरे देश में आकाशीय बिजली की 80,048 घटनाएं हुई, जिसमें 7030 बिहार में दर्ज की गईं.

बिहार में वज्रपात का कहर

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Published : Sep 18, 2019, 11:43 PM IST

Updated : Sep 19, 2019, 12:01 AM IST

पटना: बिहार के कई जिलों में मंगलवार की दोपहर के बाद तेज हवा के साथ बारिश हुई. इस बारिश के साथ हुए वज्रपात में 17 लोगों की मौत हो गई और कई गंभीर रूप से घायल हो गए. राज्य आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि इन आंकड़ों में और वृद्घि होने की संभावना है.

विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि अब तक मिली सूचना के अनुसार कैमूर और गया जिले के विभिन्न क्षेत्रों में आकाशीय बिजली गिरने से तीन-तीन लोगों की मौत जबकि पूर्वी चंपारण, सीवान, भोजपुर, अरवल और पटना में दो-दो तथा कटिहार में एक व्यक्ति की आकाशीय बिजली की चपेट में आने से मौत हो गई. सरकार ने मृतकों के परिजनों को चार लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है.

पटना में देर रात होती गर्जना

दो की हालत गंभीर
राजधानी में मंगलवार की रात पुलिस लाइन में एक विशाल पेड़ गिर जाने से 9 पुलिसकर्मी बुरी तरह से घायल हो गए. घटना के बाद पुलिस लाइन में अफरा तफरी मच गई. आनन-फानन में घायलों को पीएमसीएच में भर्ती कराया गया है जिसमें दो की हालत गंभीर बताई जा रही है.

वज्रपात का दृश्य

क्या है वज्रपात...
वज्रपात एक विद्युत प्रवाह है. बादलों के ऊपर तापमान कम होने से जल वाष्प बर्फ में बदल जाता है. बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े जब टकराते हैं, तो विद्युत आवेश का निर्माण होता है. जिससे सकारात्मक और नकारात्मक चार्ज बनता है. इनके बड़े होने पर बिजली उत्पन्न होती है. यह सूरज की सतह से छह गुना ज्यादा गर्म होती है.

वज्रपात से मौत के कारण

  1. जलवायु परिवर्तन ठनका गिरने में बढ़ोतरी का मुख्य कारण है.
  2. 71 प्रतिशत मौत पेड़ के नीचे खड़े रहने और 29 प्रतिशत खुले में रहने से होती है.
  3. इससे बचने के लिए सावधानियों के प्रति जागरूकता न होना.
  4. आपदा प्रबंधन इकाई की गतिविधियां जमीनी स्तर तक नहीं पहुंचना

बचने के उपाय

  1. खुले मैदान, पेड़ या बिजली के खंभों के पास जाने से बचना चाहिए
  2. दलदल और जल निकायों से दूर रहना चाहिए
  3. इस दौरान मोबाइल और छाते का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
  4. अपने हाथों को अपने घुटनों पर और अपने सिर को अपने घुटनों के बीच रखना चाहिए. इससे शरीर को कम से कम नुकसान होता है.

सरकार की तरफ से उठाए गए कदम

  1. आपदा प्रबंधन विभाग राज्य भर में 45 लाइटनिंग डिटेक्शन सेंसर लगाने की तैयारी कर रहा है. ये आंधी और बिजली के बारे में लोगों को चेतावनी देगा
  2. ठनका गिरने की सटीक जानकारी के लिए सीयूएसबी गया में लाइटनिंग लोकेशन नेटवर्क स्थापित किया जाएगा. इससे दो सौ किलोमीटर के दायरे में बिजली की प्रारंभिक चेतावनी 20 से 30 मिनट पहले जारी की जाएगी
  3. राज्य सरकार ने पीड़ित परिवारों को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की.

क्या कहते हैं आंकड़े

  1. बिहार में 1 जून से 1 जुलाई तक में 92 मौतें
  2. इस साल 26 जून को, पूरे देश में आकाशीय बिजली की 80,048 घटनाएं हुई, जिसमें 7030 बिहार में दर्ज की गईं.
  3. 27 जुलाई 2019 को बिहार में बिजली गिरने से 172 लोग मारे गए- नीतीश कुमार
  4. 2010 से 2018 तक देश में बिजली गिरने से 22,027 लोगों की मौत हुई. हर साल औसतन 2447 लोग बिजली गिरने से अपनी जान गंवा रहे हैं.
Last Updated : Sep 19, 2019, 12:01 AM IST

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