पटना:बिहार में गुरु रहमान शिक्षा जगत में एक जाना-माना नाम है. उनकी प्रसिद्धि दारोगा गुरु से भी है. आखिर उनका नाम गुरु रहमान कैसे पड़ा और वह सिर्फ 11 रुपये लेकर ही छात्रों को क्यों पढ़ाते हैं. इस बारे में खुद गुरु रहमान ने ही पूरी कहानी बताई. गुरु रहमान बताते हैं कि आज भी वह शहीद के बच्चे, गरीब मजदूर के बच्चे, जिनके माता-पिता नहीं हैं, ऐसे बच्चे, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर को 11 रुपये की गुरु दक्षिणा पर ही पढ़ाते हैं.
'अधिकतर छात्र दारोगा बन जाते हैं इसलिए दारोगा गुरु भी कहते हैं' :गुरु रहमान ने बताया कि वह सिर्फ दारोगा के लिए नहीं पढ़ाते, बल्कि सिविल सर्विसेज और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पढ़ाते हैं. दारोगा की वैकेंसी बड़ी संख्या में आती है और बड़ी संख्या में छात्र उत्तीर्ण होते हैं. इसलिए लोगों उन्हें दारोगा गुरु भी कहते हैं. गुरु रहमान बताते हैं कि साल 2007 में पटना में आयोजित वर्ल्ड समिट के कार्यक्रम में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें गुरु की उपाधि दी थी.
"उस कार्यक्रम में मैंने 'ट्रेड रूट ऑफ इंडिया इन असिएंट इंडिया' पर एक लेख पढ़ा था और उसे वर्तमान परिदृश्य से जोड़ा था. भाषण के बाद डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने मुझे बुलाकर मुझसे 4-5 मिनट बात किए और इस दौरान कहा कि अब अपने आप को डॉ रहमान के बजाय गुरु रहमान कहिए. इसी कार्यक्रम में उन्होंने मुझे गुरु की उपाधि दी और अधिकारियों द्वारा उनके घर तक प्रशस्ति पत्र भी पहुंचा. इसके बाद से लोग मुझे डॉक्टर रहमान के बजाय गुरु रहमान कहने लगे."-गुरु रहमान, शिक्षाविद्
1994 से पढ़ा रहें है गुरु रहमान :गुरु रहमान बताते हैं कि वह साल 1994 से पढ़ा रहे हैं, लेकिन साल 2005 से यह तय हो गया कि जीवन में उन्हें सिर्फ पढ़ना ही है.इसी में उनका करियर है. उन्होंने बताया कि अब तक उनके पढ़ाए हुए 7856 छात्र-छात्राएं दारोगा बन चुके हैं. इसमें 3500 के करीब ऐसे हैं, जिन्होंने ₹11 की गुरु दक्षिणा में पढ़कर कामयाबी हासिल की है. यह वह छात्र हैं जो काफी कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से आते थे और आज अपनी कामयाबी की बदौलत समाज में सशक्त स्थान बनाने में सफल हुए हैं.
दूसरे धर्म की लड़की से की है शादी : गुरु रहमान ने बताया कि वह अपने बच्चों को पढ़ाते हैं तो यही सीख देते हैं कि आप कामयाब बनिए, तो गरीब बच्चों को जरूर पढ़ाइए. जितना संभव हो मदद कीजिए. प्रशासनिक सेवा में जाते हैं तो यह प्रयास करिए की बेईमान को बेल नहीं और ईमानदार को जेल नहीं हो. उन्होंने बताया कि वह ट्रिपल एमए है और टू टाइम्स पीएचडी हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने प्रेम विवाह किया है और अंतर्धामिक प्रेम विवाह किया है.
"साल 1997 में दिल्ली में एक कोर्स के दौरान क्लासरूम में अमिता कुमारी नाम की लड़की से नजरे मिली थी. यहीं से दोस्ती हुई और फिर प्रेम शुरू हुआ और तमाम संघर्षों के बाद साल 2007 में उन्होंने शादी कर ली."-गुरु रहमान, शिक्षाविद्
हनुमान जी के हैं बहुत बड़े भक्त :गुरु रहमान हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त हैं. गुरु रहमान बताते हैं कि साल 1994 में किसी परेशानी में थे और अनायास लेटे हुए थे. तभी उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि उनके सामने रखी अलमारी के ऊपर कोई बंदर बैठा हुआ है और लाल कपड़ा फेंक कर उन्हें मार रहा है. इसके बाद बीएचयू के उनके एक सीनियर ने बताया कि यह साक्षात दर्शन है और सलाह दिया की लाल कपड़ा अपने साथ जरूर रखें.
हनुमान जी की पूजा करने के कारण कई बार हुआ हमला : साल 1994 ही था वह साल जब हनुमान जी में उनकी आस्था होने के कारण उनके समाज के लोगों ने उनसे दूरी बनानी शुरू कर दी. इसके बाद लगभग 3 वर्षों तक उन्होंने प्रतिदिन पटना जंक्शन हनुमान मंदिर के पास शाम में जाकर वहां का भोजन ग्रहण किया है. गुरु रहमान ने बताया कि जब वह प्रेम में थे, तब भी और पढ़ाने के दौरान भी एक मुस्लिम होने के कारण पूजा पाठ करने के लिए उन पर कई बार जानलेवा हमले हुए. हर बार वह बच गए और उन्हें एहसास हुआ है कि हनुमान जी साक्षात हैं.
हर मंगलवार करते हैं सुंदरकांड का पाठ : गुरु रहमान प्रत्येक मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ करते हैं और उपवास रखते हैं. सनातन पद्धति में पूरी आस्था रखते हैं और गर्व से कहते हैं वह सनातनी हैं. उनका एक सपना है कि एक गुरुकुल वह बनाएं, जहां गरीब, असहाय, आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित तबके के बच्चे को निशुल्क रहने खाने की व्यवस्था के साथ बेहतर शिक्षा प्राप्त करने का पूरा अवसर मिले. गुरु रहमान ने बताया कि वह वेद के शोधार्थी रहे हैं और ऋग्वेद पर उन्होंने काफी शोध किया है.