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48 घंटे के अंदर कोविड कचरे का डिस्पोजल जरूरी, देखें कैसे निष्पादन करता है निगम

कोरोना को देखते हुए तमाम तरह की सावधानियां बरतना जरूरी है. ऐसे में नगर निगम कोरोना संक्रमित मरीजों के कचरे का डिस्पोजल करने में कई तरह की सतर्कता बरत रहा है. देखें ये रिपोर्ट...

waste disposal
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Published : Aug 28, 2020, 2:10 PM IST

पटना: बिहार में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और अब तक एक लाख 26 हजार को पार कर चुकी है. जिस तेजी से आंकड़ा बढ़ रहा है उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में कितनी बड़ी जनसंख्या कोरोना से संक्रमित हो चुकी होगी.

देखिए ये वीडियो रिपोर्ट
  • पटना में कोरोना मरीजों की संख्या पहुंची 20 हजार
  • 48 घंटे के भीतर निष्पादन जरूरी
  • निष्पादन में देरी से संक्रमण फैलने का खतरा
  • 900 मैट्रिक टन साधारण कचरा
  • लॉकडाउन के बाद 500 मैट्रिक टन कचरा
  • होम आइसोलेशन वालों का 20 मैट्रिक टन कचरा
  • IGIMS में होता है निष्पादन
    डंपिंग यार्ड

राजधानी में बढ़ रही संक्रमितों की संख्या

राजधानी पटना की बात करें तो सबसे अधिक कोरोना संक्रमित मरीजों की तादात पटना जिले में ही है. कई प्रयासों के बावजूद वायरस इन्हें चपेट में ले रहा है. इससे बचने के लिए लोग तरह-तरह की सानधानियां बरत रहे हैं. साथ ही इसकी पुष्टि के लिए कोरोना की जांच भी करवा रहे हैं. टेस्ट में जो लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं उन्हें सीधे आइसोलेशन वार्ड में भेज दिया गया है. कुछ लोग होम आइसोलेशन में रहकर ही इलाज करवा रहे हैं.

नगर निगम सक्रिय

ऐसे में उनके द्वारा इस्तेमाल की जा रही सामग्री के निष्पादन के लिए सरकार ने व्यवस्था कर रखी है ताकि घर के अन्य लोग संक्रमित न हो जाएं. इसके लिए पटना नगर निगम को सक्रिय किया गया है. डोर-टू-डोर कचरा उठाने वाली गाड़ियों में अलग से मेडिकल कचरा संग्रहक के तौर पर पीले रंग का थैला दिया गया है. इससे निगमकर्मियों को भी मेडिकल वेस्टेज को इकट्ठा करके जलाने में सहूलियत होती है.

निगम की डोर-टू-डोर कचरा गाड़ी

वहीं, अस्पतालों में बने कोविड केयर सेंटर में रह रहे संक्रमित मरीजों के मेडिकल कचरे का निष्पादन सरकार आईजीआईएमएस द्वारा अधिकृत एजेंसी के माध्यम से करवा रही है.

होम आइसोलेशन में रह रहे अधिकतर पेशेंट

अकेले पटना जिले में कोविड 19 संक्रमित मरीजों की संख्या लगभग 20 हजार हो गई है. हर दिन मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. ऐसे में अब जो भी संक्रमित मरीज मिल रहे हैं वो सरकार द्वारा बनाए गए आइसोलेशन सेंटर में कम ही जा रहे हैं. अधिकतर पेशेंट होम आइसोलेशन में ही रहकर अपना इलाज करवा रहे हैं. ऐसे में कचरे का सही तरीके से निष्पादन बेहद जरूरी है. नगर निगम की गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर की मानें तो लोग कचरे लेकर अपने घरों से बाहर आते हैं और गाड़ी में डाल देते हैं. इसके बाद चयनित निगमकर्मी कचरा डंपिंग यार्ड में उसे जला देता है.

IGIMS द्वारा अधिकृत एजेंसी के वेस्टेज का डिस्पोजल

48 घंटे के भीतर निष्पादन जरूरी

वहीं, अस्पतालों से निकलने वाले कोविड के मेडिकल कचरे के निष्पादन के लिए सरकार द्वारा अधिकृत आईजीआईएमएस की निजी एजेंसी द्वारा एक साथ इकट्ठा करके जला दिया जाता है. डॉक्टरों की मानें तो कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या जिस तरह से बढ़ रही है कोविड अस्पतालों में मेडिकल कचरे का अम्बार लग जाता है. लेकिन जिस ऐजेंसी का चयन किया गया है वो हर दिन कचरा ले जाती है. यदि उस कचरे का निष्पादन 48 घंटे के भीतर नहीं किया गया तो संक्रमण फैलने खतरा और भी बढ़ जाता है.

लॉकडाउन टूटने के बाद निकल रहा अधिक कचरा

आपको बता दें कि लॉकडाउन से पहले शहर में 900 मैट्रिक टन हर दिन साधारण कचरा निकलता था, लेकिन जब से लॉकडाउन लागू हुआ है सभी होटल बंद हैं ऐसे में 500 मैट्रिक टन ही साधारण कचरा निकलता है. वहीं जो भी व्यक्ति कोरोना से संक्रमित होकर होम आइसोलेशन में रहता है तो हर दिन मेडिकल कचरा 20 मैट्रिक टन निकल रहा है.

वहीं, प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों की बता करें तो हर दिन इनमें से 500 से अधिक बायोमेट्रिक कचरा निकलता है, जिनका आईजीआईएमएस में निष्पादन किया जाता है. इसमें निगम इनकी मदद करता है.

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