पटनाः कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मार्च महीने में सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लागू कर दिया था. जिसका प्रभाव सभी रोजगार धंधों पर देखने को मिला है. इसी क्रम में हॉस्टल संचालकों का व्यवसाय भी पूरी तरह ठप हो गया. आलम यह है कि अनलॉक 4 में ऑफर मिलने के बावजूद हॉस्टल के कमरों पर ताला लटका दिख रहा है.
किराया तक नहीं दे रहे छात्र-छात्राएं
राजधानी पटना में लॉकडाउन लागू होते ही दूरदराज से पढ़ने आए छात्र-छात्राएं अपने घर रवाना हो गए. हालांकि इस दौरान सैकड़ों छात्र पटना में फंसे रह गए. पूरे लॉकडाउन की अवधि में इन हॉस्टलों में रहकर पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं ने न किराया और न ही बिजली का बिल दिया.
पटना से नीरज त्रिपाठी की रिपोर्ट खाली पड़े हैं कमरे
हॉस्टल का संचालन कर रहे लोगों की स्थिति काफी बिगड़ती नजर आ रही है. संचालकों ने बताया कि अनलॉक फोर में पहले हॉस्टल में रह रहे छात्र-छात्राओं को कॉल करके 50 प्रतिशत की छूट देने का ऑफर दिया गया था, लेकिन फिर भी अधिकांश कमरे खाली हैं.
किराया देने का दबाव
वहीं, हॉस्टल में रह रहे छात्र-छात्राओं का आरोप है कि संचालक लॉकडाउन के दौरान बंद कमरों का किराया देने का दबाव बना रहे हैं. सरकारी और निजी हॉस्टल में सन्नाटा पसरा हुआ है. हालात यह है कि सिक्योरिटी गार्ड छात्रावासों के बंद कमरे की रखवाली करते और छात्रों की बाट जोहते नजर आ रहे हैं.
चौपट हुए काम धंधे
लॉकडाउन ने हॉस्टल संचालकों की कमर तोड़ दी है. हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं ने बताया कि काम धंधे चौपट होने की वजह से उनके अभिभावक पैसे नहीं भेज पा पहे हैं और संचालक लगातार फीस के लिए दबाव बना रहे हैं. कई महीनों से पैसे नहीं देने पर हॉस्टल संचालक कमरा खाली करवाने की बातें तक कह रहे हैं.
कर्मचारियों की भी स्थिति है खराब
हॉस्टलों में काम करने वाले कर्मचारियों की स्थिति भी बद से बदतर हो गई है. कर्मचारी बताते हैं कि पहले जिन हॉस्टल के दस में से आठ कमरे हमेशा छात्रों से गुलजार रहते थे वे आज वीरान पड़े हैं.
हॉस्टल में लगा टू लेट का बोर्ड हालात ये हैं कि किराए पर लिए गए मकान वाले हॉस्टल संचालक किराया भी बमुश्किल दे पा रहे हैं. बता दें कि लॉकडाउन ने हॉस्टल संचालको के साथ यहां काम कर रहे कर्मचारियों की भी स्थिति बिगाड़ दी है.