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अनलॉक में भी लाखों के नुकसान में हॉस्टल संचालक, घाटे से उबरने में लगेंगे सालों - पटना में हॉस्टल संचालक

पटना के 90 फीसदी हॉस्टल किराए पर चलते हैं. इनका हर महीने किराया एक से डेढ़ लाख है. पिछले 4 महीनों से कोरोना वायरस संक्रमण के कारण सभी हॉस्टल बंद हैं. लॉकडाउन की वजह से सभी छात्र-छात्राएं अपने अपने घर चले गए. राजधानी में करीब 5 हजार हॉस्टल हैं. हॉस्टल मालिकों के और हॉस्टल से जुड़े करीब 50 हजार लोग हैं, जिनका घर-परिवार इसी पर आश्रित है.

Hostel operator in patna
Hostel operator in patna

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Published : Jul 8, 2020, 8:10 PM IST

पटना: कोरोना वायरस से बचाव के लिए जारी लॉकडाउन से पूरी दुनिया ही लॉक हो गई. इस कारण कई ऐसे व्यवसाय हैं, जो बेहद बुरे दौर से गुजर रहे हैं. ऐसा ही एक पेशेदार वर्ग है हॉस्टल संचालकों का. ये तबका इस कदर घाटे का शिकार हुआ है कि इससे उबरने में शायद इन्हें सालों का वक्त लग जाएगा.

गर्ल्स हॉस्टल

5 हजार हॉस्टल संचालकों का हाल बेहाल
राजधानी में करीब 5 हजार हॉस्टल हैं, जिनमें लगभग 2 हजार गर्ल्स हॉस्टल और 3 हजार बॉयज हॉस्टल शामिल हैं. हॉस्टल में रहने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या करीब दो से तीन लाख के बीच हैं. हॉस्टल मालिक और हॉस्टल से जुड़े करीब 50 हजार लोग हैं, जिनका घर-परिवार इसी पर आश्रित है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

अनलॉक में भी हॉस्टल बंद
पटना के 90 फीसदी हॉस्टल किराए पर चलते हैं. इनका हर महीने किराया एक से डेढ़ लाख है. पिछले 4 महीनों से कोरोना वायरस संक्रमण के कारण सभी हॉस्टल बंद है. लॉकडाउन की वजह से सभी छात्र-छात्राएं अपने अपने घर चले गए. सभी कोचिंग और शिक्षण संस्थान बंद रहने के कारण छात्र अभी तक घर से वापस नहीं लौटे हैं.

राजधानी में संचालित हॉस्टल की बिल्डिंग

किराए की समस्या से बंद हुए 400 से अधिक हॉस्टल
किसी ने भी 3 महीने से हॉस्टल का किराया नहीं दिया है. इस कारण हॉस्टल मालिकों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. सबसे बड़ी समस्या किराए को लेकर आ रही है. मकान मालिक अक्सर किराए के लिए दबाव डाल रहे हैं. किराए की समस्या के कारण पटना में करीब 400 से अधिक हॉस्टल अब तक बंद हो चुके हैं.

हॉस्टल का मेन गेट बंद

होस्टल संचालकों पर दोहरी मार
हॉस्टल संचालकों ने बताया कि कई परेशानियां है. अपना घर परिवार चलाना, जो हमारे स्टाफ हैं उनको सैलरी देना, हॉस्टल का किराया देना, ये सभी हमारी चिंता का विषय बने हुए हैं. अब तक कर्ज लेकर मैनेज करने की कोशिश की थी, लेकिन अब कर्ज बढ़ता जा रहा है. आगे क्या होगा कुछ पता नहीं. सरकार का भी इस ओर कोई ध्यान नहीं हैं. हमारा भविष्य अब हमें अंधकार में नजर आ रहा है.

धीरज कुमार, डीके गर्ल्स एंड बॉयज हॉस्टल संचालक

सरकार से मदद की गुहार
कुछ हॉस्टल संचालकों ने बताया कि स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है. लॉकडाउन में परेशानी सभी को है. सरकार ने कुछ ना कुछ रियायत सभी क्षेत्रों में दी है, लेकिन हमारे लिए सरकार का कोई प्लान नहीं है. सरकार को हमारे बारे में भी सोचना चाहिए और कुछ गाइडलाइंस बनाने चाहिए, ताकि हम भी अपनी जीविका चला सके. हॉस्टल संचालकों ने सरकार से गुजारिश की है कि दिशा-निर्देश निर्धारित कर हॉस्टल और कोचिंग संस्थान खोलने की इजाजत दें.

हॉस्टल में छात्रों के कमरों पर लगा ताला

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