पटना:जनता से जुड़ी बुनयादी सुविधाओं का हाल जर्जर चुका है. तमाम वादों और दावों के बीच राजधानी से महज 60 किलोमीटर दूर स्थित पालीगंज अनुमंडलीय अस्पताल जर्जर स्थिति में है. अनुमंडलीय अस्पताल विकास की बयार के उलट अपनी एक अलग तस्वीर बयां कर रही है.
पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र से काफी संख्या में मरीज इलाज कराने आते हैं. सरकार का दावा है कि अस्पताल में सभी तरह की दवा सहित अन्य सुविधा उपलब्ध कराई गई हैं. लेकिन सरकारी दावों के उलट पालीगंज अनुमंडल अस्पताल की जर्जर भवन सरकार की व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है.
अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मी जर्जर भवन में काम करने को मजबूर जर्जर भवन में ओपीडी व इमरजेंसी सेवा
अस्पताल का ओपीडी विभाग व इमरजेंसी रात्रि सेवा विभाग जर्जर भवन की छत के नीचे रह कर अपने कर्तव्य का निर्वहण करते हैं. लेकिन न तो राज्य के स्वास्थ्य प्रशासन को अपने कर्मचारियों की जान की परवाह ने तो सरकार को जिसे उसी जनता ने चुना है.
पटना सिविल सर्जन ने लगाई अधिकारियों को फटकार
बता दें कि तीन दिन पहले पटना सिविल सर्जन डॉक्टर विभा सिंह ने अनुमंडल अस्पताल की औचक निरीक्षण किया था. जिसके बाद अस्पताल उपाधीक्षक सहित स्वास्थ्यकर्मियों को भी फटकार लगाई थी. इतना ही नहीं विभा ने चेतावनी देते हुए कहा कि 'सुधर जाओ वरना विभागीय करवाई के लिए तैयार रहना' वहीं, जिन दो लोगों के भरोसे पूरे अस्पताल में आने वाले जख्मियों की मरहम पट्टी की जाती है. उन्हें अस्पताल प्रशासन ने बीते दस महीने से मानदेय नहीं दिया है.
ड्रेसर को 10 महीनों का, एम्बुलेंस कर्मी को 4 महीनों का नहीं हुआ भुगतान
ड्रेसर रामदीप प्रसाद वर्मा ने जर्जर भवन की छत को ईटीवी भारत को दिखाते हुए बताया की इसी जर्जर छत के नीचे जान जोखिम में डालकर रोगियों की सेवा करते हैं. इसके बाद भी 10 माह से मानदेय का भुगतान अस्पताल प्रबन्धक ने नहीं किया है. जिसके कारण घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. वहीं, अस्पताल के एम्बुलेंस कर्मी ने बताया कि उन्हें भी चार माह से वेतन नहीं मिला है.
अस्पताल प्रशासन ने नहीं दिया जबाव
वहीं, इस मामले में पालीगंज अनुमंडल अस्पताल उपाधीक्षक मीना कुमारी का पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने कहा कि 'इसके बारे में मै कुछ भी नही बताऊंगी, अभी कोई काम नही हुआ है, पहले काम होने दीजिए उसके बाद पूरी जानकारी दी जाएगी.'