पटना:कोरोना के दूसरे स्ट्रेन ने देशभर में त्राहिमाम मचा रखा है. हालात इतने बदतर हो गए हैं कि अब प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खुलने लगी है. हर जगह से करीब एक जैसी ही तस्वीरें सामने आ रही हैं. एक ओर अस्पतालों के बाहर मरीजों की कतार है, जो इलाज करवाना चाहते हैं. दूसरी ओर श्मशान घाटों के बाहर शवों की कतार है, जो मुक्ति पाना चाहते हैं.
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शवों को मुक्ति का इंतजार
कोरोना के महासंकट के बीच अस्पताल में लोगों को इलाज कराने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. कुछ खुशकिस्मत ऐसे हैं जो कोरोना से दो-दो हाथ करके मौत के मुंह से बचकर आ रहे हैं, तो कुछ बदकिस्मत ऐसे भी हैं, जिन्हें कोरोना ने ना जीते जी चैन से जीने दिया और ना ही मरने के बाद चैन से मुक्ति लेने दे रहा है. हालात ऐसे हैं कि पटना के बांस घाट पर इस संक्रमण से मरने वाले लोगों के शवों को जलाने के लिए परिजनों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है.
बांस घाट पर शवों की लगी कतार
पटना के बांस घाट पर मृतकों के शव को जलाने के लिए लोगों को 8 से 10 घंटे घाटों पर ही इंतजार करना पड़ रहा है. दोपहर 3:30 बजे तक 9 शव अपने जलने के इंतजार में घंटों पड़े नजर आए. वहीं, लकड़ियों पर जलाए जा रहे शवों का कोई हिसाब किताब घाटों पर नहीं रखा जा रहा है. जानकारी मांगने पर घाटों पर मौजूद संबंधित शव जला रहे लोग अपना पल्ला झाड़ते दिखे.
पिछले 24 घंटों में जलाए गए 26 शव
पटना के बांस घाट पर 24 घंटों में 26 शव जलाए गए. इतनी तेजी के साथ शवों को जलाने की प्रक्रिया के कारण बांस घाट पर मौजूद विद्युत शवदाह गृह कई बार बंद भी हो गए. मजबूरी में मृतक के परिजन शव का अंतिम संस्कार लकड़ियों पर ही करते नजर आए. रोजाना 25 से 30 मौतें हो रही है, लेकिन कहा जा रहा है कि प्रशासन मौतों को छिपा रहा है.
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गुलबी घाट में भी अंत्येष्टि की व्यवस्था
बता दें कि इस संक्रमण से मरने वाले लोगों को जलाने के लिए पटना के बांस घाट के साथ-साथ पटना सिटी स्थित गुलबी घाट विद्युत शवदाह गृह में भी व्यवस्था की गई है. हालात ऐसे हैं कि एनएमसीएच में संक्रमण से मौत होने के बाद लोग अपने परिजनों के शव को लेकर बांस घाट ही पहुंच रहे हैं. लोगों के बीच जानकारी के अभाव के कारण इस संक्रमण से मरने वाले अधिकांश लोगों के शव पटना के बांस घाट पर ही अंत्येष्टि की प्रक्रिया के लिए आ रहे हैं.