पटना:रंगों का त्योहार होली, हिंदुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. इस त्योहार को मनाने के लिए खरीददारी शुरू हो गयी है. रंग-गुलाल के साथ खाने-पीन का सामान खरीदा जा रहा है. होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन के साथ कुछ परंपराएं जुड़ी हैं. पटना के ग्रामीण इलाकों में होलिका दहन वाली आग में चना की झंगरी (jhangri is cooked in Holika Dahan) को पकाने की पौराणिक परंपरा है. इस झंगरी को होलिका दहन के प्रसाद के रूप में खाया जाता है.
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सदियों पुरानी परंपरा:क्यों चने की झंगरी को आग में पकाया जाता है. इसके बारे में मसौढ़ी के श्री राम जानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर के पुजारी गोपाल पांडे ने बताया कि यह सदियों पुरानी परंपरा है, जिसका निर्वहन आज भी लोग करते आ रहे हैं. होलिका दहन के बाद नए साल की शुरुआत हो जाती है. नये साल की यह पहली फसल होती है, इसलिए इसे अग्नि देवता को समर्पित की जाती है. यह ऐसी परंपरा है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. किसानों को लेकर इसका विशेष महत्व है.