पटनाः जदयू के खालिद अनवर ने विधान परिषद में पूछा कि जब बिहार एजुकेशन कोड 1961 में यह प्रावधान है कि जुमे के दिन छुट्टी (holiday in schools on friday) दी जा सकती है, ऐसे में सरकार ने छुट्टी कैलेंडर के बदले डीईओ को क्यों अधिकार दे दिया कि वह स्थानीय परिस्थिति के अनुसार निर्णय ले. जबकि इतने समय से जुमे के दिन छुट्टी दी जा रही है. देश में इन दिनों ऐसा वातावरण बनाया जा रहा है कि एक धर्म विशेष को टारगेट किया जा रहा है.
इसे भी पढ़ेंः Patna News: विधान परिषद में गूंजा लहंगा और बटन, भोजपुरी को लेकर हंगामा
भाजपा को कोई आपत्ति नहीं हुईः इस बात पर भाजपा के देवेश कुमार व नवल किशोर यादव ने आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि जिस समय एजुकेशन कोड बना, उस समय सेकुलर शब्द संविधान के प्रस्तावना में शामिल नहीं था. भाजपा के प्रो नवल किशोर यादव ने यहां तक कह दिया कि अगर सरकार सातो दिन छुट्टी देती है तो हमें कोई समस्या नहीं है. यह सरकार का नीतिगत मामला है. जदयू के नीरज कुमार ने कहा कि सरकार में 17 साल रहने के दौरान भाजपा को कोई आपत्ति नहीं हुई. लेकिन सत्ता से हटते ही जुमे की छुट्टी के मसले को जान-बूझकर उठाया गया.
बिहार शिक्षा संहिता:शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर ने कहा कि बिहार शिक्षा संहिता के आर्टिकल 265 के अनुसार विद्यालयों को अवकाश तालिका जिला शिक्षा स्थापना समिति के द्वारा क्षेत्रीय, भौगोलिक, सामाजिक व धार्मिक वातावरण पर आधारित व्यवस्था के अनुसार तैयार किया जाता है. प्रारंभिक व मध्य विद्यालयों की अवकाश तालिका में एकरूपता लाने के लिए प्राथमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से सांकेतिक अवकाश तालिका जारी की जाती है. इस तालिका में जिला शिक्षा पदाधिकारियों को स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार बिहार शिक्षा संहिता के नियम 265 के आलोक में परिवर्तन करने का अधिकार दिया गया है.