पटनाःउत्साह और उमंग का पर्व होली आज बिहार सहित पूरे देश में मनाया (Holi 2023) जा रहा है. वैसे तो होली की खुमारी फागुन आने के साथ ही लोगों पर चढ़ने लगती है. लेकिन मंगलवार की रात शुभ मुहूर्त में होलिका दहन के बाद बुधवार को लोग एक दूसरे को रंग लगाकर होली मनाएंगे. इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में प्रतीकात्मक तौर पर भी मनाया जाता है. इस पर्व का लोगों को पूरे साल इंतजार रहता है. हर उम्र के लोग इस त्योहार को एक समान जोश के साथ मनाते हैं.
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राज्यपाल और CM ने दी बधाई:राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यवासियों को होली की बधाई दी है. सीएम ने ट्वीट कर लिखा, "रंगों के त्योहार होली की बधाई एवं शुभकामनाएं। होली सामाजिक समरसता का प्रतीक है। होली का यह पवित्र त्योहार राज्यवासियों के जीवन में खुशियों के नए रंग लेकर आए। यह पवित्र त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है। होली का त्योहार प्रेम, भाईचारे एवं सद्भाव के साथ मनाएं."
अलबेला है त्योहार का स्वरूपः यूं तो होली से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं और इसके पीछे का कारण भी बहुत ही अच्छा संदेश देता है. लोग जमकर मौज-मस्ती करते हैं और तरह-तरह के व्यंजन का लुत्फ उठाते हैं. लेकिन वसंत के आगमन और मौसमानुरूप प्रकृति को लेकर इसे मस्ती और अलबेलेपन से भरे त्यौहार के रूप में भी मनाया जाता है. लोग इस दिन अपने परिजन, दोस्तों और पहचान वालों को रंग लगाते हैं और नाच गाना का आयोजन कर मनोरंजन करते हैं.
फगुआ गाने की रही है परंपराःपुराने समय से ही ढोल, झाल, मंजीरा आदि लोक वाद्य यंत्रों के साथ मस्ती भरे लोक गीत जैसे फगुआ, चैता, झूमर गाने की परंपरा रही है. अब भले लोग डीजे और बड़े बड़े साउंड बाक्स लगा कर रिकार्डेड गाने पर नाच-गान का आयोजन करते हैं, लेकिन मनोरंजन और मस्ती हर स्वरूप में इस पर्व की आत्मा रही है. एक महीने पहले से ही लोगों पर होली का खुमार चढ़ जाता है.