बिहार

bihar

ETV Bharat / state

विज्ञापन नीति नहीं होने से नगर निगम की होर्डिंग्स पर माफियाओं का कब्जा, करोड़ों का नुकसान - तारकिशोर प्रसाद

पटना नगर निगम के पास विज्ञापन नीति नहीं होने की वजह से होर्डिंग स्टैंड होर्डिंग माफियाओं के कब्जे में है. निगम प्रशासन ने विज्ञापन नीति को लेकर 2 साल पहले नगर विकास विभाग को पत्र भेजा है. लेकिन अभी तक विभाग से सहमति नहीं मिलने की वजह से निगम प्रशासन को हर साल 50 से 70 करोड़ रुपए नुकसान होता है. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना
पटना

By

Published : Mar 11, 2021, 6:59 PM IST

Updated : Mar 11, 2021, 10:19 PM IST

पटना:नगर निगम अपने आय का स्रोत बढ़ाने के लिए निगम क्षेत्र में 5 हजार से अधिक होर्डिंग स्टैंड बनाए हुए हैं. ताकि उस पर लगने वाले विज्ञापन के जरिए टैक्स वसूली जा सके. पैसा इकट्ठा होने पर शहरवासियों को अच्छी सुविधा निगम प्रशासन की तरफ से मुहैया हो सके. लेकिन विज्ञापन नीति नहीं होने की वजह से निगम प्रशासन को होर्डिंग पर लगने वाले विज्ञापन से पैसा नहीं मिल पाता है.

होर्डिंग पर माफियाओं का कब्जा

ये भी पढ़ें-अधर में लटका 90 हजार शिक्षकों का नियोजन, हाईकोर्ट से स्टे के कारण लगा ग्रहण

  • पटना नगर निगम के पास नहीं विज्ञापन नीति
  • होर्डिंग स्टैंड पर होर्डिंग माफियाओं का कब्जा
  • नगर विकास विभाग से नहीं मिली सहमति
  • हर साल 50 से 70 करोड़ रुपए का नुकसान
    निगम को करोड़ों का नुकसान

होर्डिंग पर माफियाओं का कब्जा
निगम प्रशासन की मानें तो विज्ञापन नीति नहीं होने की वजह से हर साल पटना नगर निगम को करोड़ों रुपए का नुकसान होता है. विज्ञापन नीति को लेकर निगम बोर्ड और स्टैंडिंग कमिटी से मंजूरी दिलाकर नगर विकास विभाग को नियमावली भेज दी गई है. दुर्भाग्यवश अभी तक नगर विकास विभाग से कोई सहमति नहीं मिली है.

इंद्रदीप चंद्रवंशी, स्टैंडिंग कमेटी सदस्य, पीएमसी

''पटना शहर में लगे होर्डिंग स्टैंड पर होर्डिंग माफियाओं का कब्जा है. निगम प्रशासन कुछ कर नहीं पा रहा है. शहर में जितने भी विज्ञापन लगे हैं, उन सभी विज्ञापनों का पैसा सरकार से संरक्षण प्राप्त होर्डिंग माफिया ही कलेक्शन करते हैं. इन माफियाओं के कारण निगम प्रशासन को कुछ नहीं मिल पाता है''- इंद्रदीप चंद्रवंशी, स्टैंडिंग कमेटी सदस्य, पीएमसी

निगम के पास विज्ञापन नीति नहीं

नगर विकास विभाग ने निगम के बांधे हाथ
स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी बताते हैं कि नगर निगम भले ही एक स्वायत्त संस्था हो, लेकिन हमारा हाथ नगर विकास विभाग के माध्यम से बांध दिए गए हैं. हम कोई भी नियमावली बनाकर नगर विकास विभाग को भेजते हैं, तो उसकी सहमति देने में नगर विकास विभाग काफी विलंब करता है. इससे साफ हो गया है नगर निगम को सरकार भीख मांगने के लिए मजबूर कर रही है.

तारकिशोर प्रसाद, उप मुख्यमंत्री बिहार

''नगर निगम एक स्वायत्त संस्था है. उनके पास बोर्ड के अलावा स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य हैं. वह खुद नियम बना सकते हैं. लेकिन निगम प्रशासन का जो पत्र आया है, उसको हम खुद देख रहे हैं. बहुत जल्द उन्हें नियमावली मुहैया करा देंगे''- तारकिशोर प्रसाद, उप मुख्यमंत्री बिहार

विज्ञापन नीति नहीं होने से नुकसान

नगर निगम को करोड़ों का नुकसान
नगर विकास विभाग के मंत्री के जवाब के बाद नगर निगम के स्टडी कमेटी के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी बताते हैं. यदि सही समय पर हमें विज्ञापन नीतीश सरकार से मिल जाए तो हम निश्चित ही हर साल 50 से 70 करोड़ निगम की आमदनी बढ़ते ही शहरवासियों को मूलभूत सुविधा दे सकते हैं.

ये भी पढ़ें-मिलिए 'छोटे पंडित' अद्वैत से, तोतली जुबान में सुनिए शिव तांडव स्त्रोत

विज्ञापन से नहीं मिल रहा राजस्व
बता दें कि पटना नगर निगम को विज्ञापन के जरिए एक रुपये का भी राजस्व नहीं मिल रहा है. जबकि निगम के तरफ से 75 वार्डों में 5 हजार से अधिक होर्डिंग स्टैंड बनाए गए हैं. इन होर्डिंग स्टैंड पर विज्ञापन के लिए निगम प्रशासन से एनओसी लेना पड़ता है. इसके साथ शुल्क भी तय होता है. लेकिन, नगर निगम को सरकार से विज्ञापन की नीति अभी तक नहीं नहीं मिल पाई है. अब देखने वाली बात ये होगी कि नगर विकास विभाग नगर निगम की आय बढ़ाने को लेकर विज्ञापन नीति पर क्या कुछ फैसला लेता है.

Last Updated : Mar 11, 2021, 10:19 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details