पटना: पाटलिपुत्र की धरती हमेशा से ऐतिहासिक रही है. यहां कई ऐसी खूबसूरत जगह है. जिसे देखने के लिए लोग देश-विदेश से पर्यटक आते हैं. अब इसे पटना के नाम से जाना जाता है. जो बिहार की राजधानी है. मौर्य काल में पूरे भारत पर यहां से ही शासन चलता था. प्राचीन पाटलिपुत्र के सम्राट अशोक की ख्याति पूरी दुनिया में थी. आज भी मौर्यकालिन कई इमारतें और खंडहर पुराने दिनों के वैभव को बताती है. इसके अलावा भी पटना में कई ऐसी जगह है जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं. वर्ल्ड टूरिज्म डे के मौके पर ईटीवी भारत आपको राजधानी के कुछ पर्यटन स्थलों से रूबरू करा रहा है.
पटना जिले में दर्शनीय स्थल
पटन देवी मंदिर: पटन देवी मंदिर शक्ति उपासना का केंद्र माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर देवी सती की दाहिनी जांघ गिरी थी. पटन देवी दो हैं- छोटी पटन देवी और बड़ी पटन देवी; दोनों के अलग अलग मंदिर हैं. यहां प्रतिदिन भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. नवरात्र के अवसर पर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. ऐसी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से माता की आराधना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
अगम कुआं: अशोक कालीन भग्नावषेश का हिस्सा रहे इस कुएं का पानी कभी खत्म नहीं होता. ये कुआं बहुत गहरा है. इसका पानी ना कभी सूखता है, ना ही कभी इसका पानी बाहर आता है. कहा जाता है कि सम्राट अशोक ने अपने सभी भाइयों को मारकर उनकी लाशों को इसी कुएं में फिकवा दिया था.
कुम्हरार: कुम्हरार पटना जंक्शन से लगभग 5 किलोमीटर दूर पूर्व में स्थित है. यहां आप चन्द्रगुप्त मौर्य, बिन्दुसार तथा अशोक कालीन पाटलिपुत्र के भग्नावशेष देखे सकते हैं.
तख्त श्री पटना साहिब: पटना साहिब का तख्त श्री पटना साहिब सिखों का एक पवित्र धर्म स्थल है. यह सिखों के पांच तख्तों में से एक है. यहां 26 दिसम्बर 1666 में सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म हुआ था. इस गुरुद्वारे का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था.
गांधी मैदान: गांधी मैदान एक ऐतिहासिक स्थल है. जहां स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान रैलियां हुई थी. यहां पर महात्मा गांधी की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा लगाई गई है. जिसकी ऊंचाई 70 फीट है.
गोलघर:गोलघर, गांधी मैदान के पश्चिम में स्थित है. 1770 में आए सूखे के कारण लगभग एक करोड़ लोग भूखमरी के शिकार हो गए थे. अंग्रेजों ने अनाज भंडारण के लिए इसका निर्माण करवाया था. इसमें एक साथ 140000 टन अनाज रखा जा सकता है. गोलघर का निर्माण 20 जुलाई 1786 में ब्रिटिश इंजीनियर कैप्टन जॉन गार्स्टिन ने अनाज भंडारण के लिए एक गोदाम के रुप में करवाया गया था.