पटना:पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन (Muzaffarpur Eye Hospital Case) में कई लोगों के आंख की रोशनी खो जाने के मामले पर आज सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने मुजफ्फरपुर के एसएसपी को रिपोर्ट पेश करने के लिए 15 दिनों की मोहलत दी है. साथ ही कोर्ट ने इस मामलें में गठित डॉक्टरों की कमिटी को चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने मुकेश कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बात कही है.
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आई हॉस्पिटल मामले पर सुनवाई: दरअसल, पिछली सुनवाई में समक्ष याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वीके सिंह ने कोर्ट को बताया था कि इस मामलें में दर्ज प्राथमिकी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए पीएमसीएच या एम्स, पटना के डॉक्टरों की कमिटी गठित करें. इनमें आंख रोग विशेषज्ञ भी शामिल हो.
कोर्ट को बताया गया कि आंखों की रोशनी गवांने वाले पीडितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक-एक लाख रुपए दिए गए हैं. साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफआईआर दर्ज कराया गया है, लेकिन अब तक दर्ज प्राथमिकी पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. इस याचिका में हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने अनुरोध किया गया है.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने लगाया आरोप: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने आरोप लगाया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन और राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपनी आंखें खोनी पड़ी. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों को भी एक नियमित अंतराल पर अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए था.